केंद्र ने डेटा प्रोटेक्शन बिल वापस लिया, जेपीसी ने 81 संशोधनों की सिफारिश की थी
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सरकार ने बताया कि 11 दिसंबर 2019 को विधेयक को पेश किया गया था. इसके बाद इसे संसदीय समिति के पास भेजा गया था. जेसीपी की रिपोर्ट दिसंबर 2021 में लोकसभा में पेश की गई थी. सरकार के मुताबिक, इसमें 81 संसोधन प्रस्तावित किए गए और 12 सिफारिशें की गईं. अब जेसीपी की रिपोर्ट को ध्यान में रखते हुए नए कानूनी ढांचे पर काम किया जा रहा है.
केंद्र सरकार ने बुधवार को पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल लोकसभा से वापस ले लिया. सरकार ने कहा है कि व्यापक कानूनी विचार विमर्श के बाद नए सिरे से ये विधेयक पेश किया जाएगा. आईटी मिनिस्टर अश्विनी वैष्णव ने डेटा प्रोटेक्शन बिल को वापस लेने का ऐलान किया. बताया जा रहा है कि सरकार नया कानून संसद में रखने से पहले व्यापक जन परामर्श करेगी.
डेटा प्रोटेक्शन बिल को संसदीय समिति के पास भेजा गया था. समिति ने इस विधेयक में 81 संसोधनों की सिफारिश की थी. इसके बाद सरकार ने इसे वापस लेना का फैसला किया. केंद्र ने कहा कि इतनी बड़ी संख्या में बदलावों पर विचार करने के लिए इसे वापस लिया जा रहा है. सूत्रों के मुताबिक, निजता और साइबर सुरक्षा से संबंधित विधेयक को एक से अधिक विधेयकों से बदला जा सकता है और सरकार संसद के शीतकालीन सत्र नए विधेयकों को ला सकती है.
सरकार ने बताया कि 11 दिसंबर 2019 को विधेयक को पेश किया गया था. इसके बाद इसे संसदीय समिति के पास भेजा गया था. जेसीपी की रिपोर्ट दिसंबर 2021 में लोकसभा में पेश की गई थी. सरकार के मुताबिक, इसमें 81 संसोधन प्रस्तावित किए गए और 12 सिफारिशें की गईं. अब जेसीपी की रिपोर्ट को ध्यान में रखते हुए नए कानूनी ढांचे पर काम किया जा रहा है.
वापस लिए गए विधेयक में नागरिकों की स्पष्ट सहमति के बिना व्यक्तिगत डेटा के इस्तेमाल पर प्रतिबंध का प्रस्ताव था. इसमें डेटा यूजर्स से अधिकारों की रक्षा का प्रस्ताव था. इस विधेयक के पेश होने के बाद विपक्ष ने जमकर हंगामा किया था. विपक्ष का आरोप था कि डेटा प्रोटेक्शन बिल लोगों के मौलिक अधिकारों का हनन करता है. ऐसे में इस कानून को लाने का औचित्य नहीं है. साथ ही विपक्ष ने आरोप लगाया था कि इससे सरकार को राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर लोगों के पर्सनल डेटा तक पहुंच बनाने का बड़ा अधिकार मिलता है. यह ठीक नहीं है. विपक्ष के विरोध के बाद इस बिल को जेपीसी के पास भेजा गया था.
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