किन चुनौतियों का हवाला देते हुए अफगानिस्तान ने भारत में बंद कर दिया दूतावास, क्या होगा यहां रहने वाले अफगानियों का?
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अफगानिस्तान ने हाल ही में भारत में अपना दूतावास बंद कर दिया. उसने माना कि मेजबान देश में सपोर्ट की कमी ही इसकी वजह है. इस बीच कई सवाल उठ रहे हैं, जैसे किस सपोर्ट की कमी का अफगानिस्तान जिक्र कर रहा था. साथ ही किसी देश की एंबेसी बंद होने के बाद वहां रह रहे विदेशी नागरिकों का क्या होता है?
अफगानिस्तान पर तालिबान का राज आने के बाद से वहां उथल-पुथल मची हुई है. चरमपंथी रवैये की वजह से दुनिया के कई देश तालिबान को सरकार के तौर पर मान्यता देने से बच रहे हैं. भारत भी उनमें से एक है. तालिबानी हुकूमत को नहीं मानने की वजह से ये सारा फसाद खड़ा हुआ.
असल में हुआ ये कि भारतीय विदेश मंत्रालय तालिबान के आने से पहले भारत में तैनात अफगान राजदूत को ही देश का असल राजदूत मानती रही. इस बीच तालिबान ने अपने आदमी को एंबेसी इंचार्ज बना दिया. अब भारत के सामने उलझन ये हुई कि अगर वो साल 2021 वाले एंबेसेडर से ही राजनयिक संबंध रखता तो तालिबान नाराज हो जाता. वहीं मान्यता न देने की वजह से वो तालिबानी राजनयिक को भी नहीं मान सकता था. ये डिप्लोमेटिक नियमों से अलग हो जाता. इसी वजह से कई मुश्किलें आने लगीं.
क्या कहा तालिबान ने
- एंबेसी ने माना कि उसे जरूरी सपोर्ट नहीं मिल पा रहा है. हालांकि जरूरी सपोर्ट का खुलासा उसने नहीं किया.
- अफगानिस्तान के हितों को पूरा करने की उम्मीदों पर खरा न उतर पाना भी एक वजह बताई गई.
- तालिबान एंबेसी ने माना कि उसके पास लोगों और संसाधनों की कमी हो रही है. यहां तक वीजा रिन्यूअल भी समय पर नहीं हो पा रहा.
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