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कमला हैरिस बनाम ट्रंप की किस्मत का फैसला इन 7 स्विंग स्टेट्स से होगा, जानिए कितनी अहमियत है इन राज्यों के वोटों की
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अमेरिका के सात राज्यों पेंसिल्वेनिया, मिशिगन, विस्कॉन्सिन, जॉर्जिया, नेवादा, एरिजोना और नॉर्थ कैरोलिना को स्विंग स्टेट्स कहा जाता है. इन राज्यों के पास सबसे ज्यादा इलेक्टर्स होते हैं. यहां के मतदाताओं का मूड हमेशा स्विंग होता रहता है, इन राज्यों के मतदाताओं का चुनावी मूड भांपना बेहद मुश्किल होता है. इस वजह से इन राज्यों को स्विंग स्टेट्स कहा जाता है.
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में अब सिर्फ एक हफ्ता बचा है. डोनाल्ड ट्रंप और कमला हैरिस ने चुनाव जीतने के लिए एड़ी से लेकर चोटी तक का जोर लगा दिया है. नया राष्ट्रपति लगभग 24 करोड़ लोगों के वोट से तय होगा. वोटिंग पांच नवंबर को होगी. लेकिन राष्ट्रपति पद हासिल करने के लिए हैरिस और ट्रंप को स्विंग स्टेट्स के वोटर्स का दिल जीतना होगा. ऐसे में ये जान लेना जरूरी है कि स्विंग स्टेट्स कौन-कौन से हैं और इनके पास इतनी ताकत कहां से आई?
अमेरिका के सात राज्यों पेंसिल्वेनिया, मिशिगन, विस्कॉन्सिन, जॉर्जिया, नेवादा, एरिजोना और नॉर्थ कैरोलिना को स्विंग स्टेट्स कहा जाता है. इन राज्यों के पास सबसे ज्यादा इलेक्टर्स होते हैं. यहां के मतदाताओं का मूड हमेशा स्विंग होता रहता है, इन राज्यों के मतदाताओं का चुनावी मूड भांपना बेहद मुश्किल होता है. इनका रुझान हमेशा बदलता रहता है. इस वजह से इन राज्यों को स्विंग स्टेट्स कहा जाता है.
न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका में सबसे बड़ा स्विंग स्टेट इस समय पेंसिल्वेनिया है, जहां 19 इलेक्टोरल वोट्स हैं. यहां जीत दर्ज करने के लिए कमला हैरिस और डोनाल्ड ट्रंप ने एड़ी-चोटी का जोर लगा रखा है. दोनों उम्मीदवारों के चुनाव प्रचार से जुड़े समूहों ने सितंबर से अब तक इस राज्य में टीवी और रेडियो प्रचार के लिए 13.8 करोड़ डॉलर से अधिक खर्च किया है.
अमेरिका में स्विंग स्टेटस का महत्व क्यों है?
अमेरिका के चुनावों में इन राज्यों का ऐतिहासिक महत्व है. हालांकि, चुनाव के दिन लोग अपने पसंदीदा उम्मीदवार का चुनाव करते हैं लेकिन उनके वोट से प्रत्यक्ष रूप से राष्ट्रपति का चुनाव नहीं होता. इसके बजाए वोटर्स इलेक्टोरल कॉलेज का चुनाव करते हैं, जिसमें इलेक्टर्स होते हैं. हर राज्य में इलेक्टर्स की संख्या अमेरिकी सीनेट और प्रतिनिधि सभा में उस पार्टी के प्रतिनिधि की संख्या के समान होती है. उदाहरण के लिए मान लीजिए कि मिशिगन से सीनेट में सांसदों की संख्या 4 है तो उस राज्य में इलेक्टर्स की संख्या भी चार ही होगी. ये इलेक्टर्स सीधे तौर पर अपनी पसंद के उम्मीदवार को वोट करते हैं. कुल 538 इलेक्टोरल कॉलेज में से किसी भी उम्मीदवार को राष्ट्रपति बनने के लिए 270 वोटों की जरूरत होती है.
तो ऐसे में सवाल उठता है कि फिर आम जनता की वोटिंग के क्या कोई मायने नहीं है? दरअसल आम जनता अपने राज्य के इलेक्टर्स का चुनाव करते हैं और बाद में यही इलेक्टर्स आम जनता का प्रतिनिधित्व करते हुए उनकी पसंद के राष्ट्रपति उम्मीदवार को वोट करते हैं. अमेरिकी राजनीति में नीले और लाल रंग का भी बहुत महत्व है. नीला रंग डेमोक्रेट्स और लाल रंग रिपब्लिकन्स को दर्शाता है.
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की व्हाइट हाउस में हुई मुलाकात ने दोनों नेताओं के बीच गहरी मित्रता को दर्शाया. ट्रंप ने मोदी को 'आई मिस यू' कहकर स्वागत किया, जबकि मोदी ने दोनों देशों के संबंधों को '1+1=111' बताया. दोनों नेताओं ने व्यापार, सुरक्षा और द्विपक्षीय संबंधों पर चर्चा की. ट्रंप ने मोदी को 'महान नेता' और 'खास व्यक्ति' बताया. मोदी ने 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 500 अरब डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा. दोनों नेताओं ने यूक्रेन युद्ध पर भी चर्चा की और शांति की आवश्यकता पर जोर दिया.
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की व्हाइट हाउस में हुई मुलाकात में दोस्ती और व्यापार पर चर्चा हुई. दोनों नेताओं ने एक-दूसरे की तारीफ की, लेकिन व्यापार मुद्दों पर तनाव बरकरार रहा. ट्रंप ने रेसिप्रोकल टैरिफ की घोषणा की, जो भारत के लिए चुनौती हो सकती है. मुलाकात में एफ-35 फाइटर जेट्स और तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण पर भी चर्चा हुई.
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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बैठक में दोनों देशों के बीच बढ़ते रक्षा सहयोग पर गहन चर्चा की गई. इस चर्चा में अमेरिका ने भारत को F-35 स्टेल्थ फाइटर जेट्स, स्ट्राइकर कॉम्बैट व्हीकल्स और जावलिन मिसाइल्स की पेशकश की. विशेषज्ञों का विचार है कि ये हथियार भारत की आत्मनिर्भरता नीति के सटीक अनुरूप नहीं हैं.
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रूस-यूक्रेन जंग को खत्म करने का ब्लू प्रिंट अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने लगभग तैयार कर लिया है. इससे पहले ट्रंप ने रूस के राष्ट्रपति पुतिन और यू्क्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की से फोन पर बातचीत की. ट्रंप चाहते हैं कि नाटो में शामिल होने की जिद्द यूक्रेन छोड़ दे लेकिन जेलेंस्की ने अपने देश की सुरक्षा का हवाला दिया है.
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PM नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के बीच हुई मुलाकात में कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा हुई. आतंकवाद से निपटने में सहयोग बढ़ाने पर सहमति बन गई, जिसमें ठाकुर हसन राणा के प्रत्यर्पण का विषय भी शामिल था. फार्मास्यूटिकल क्षेत्र में भारत-अमेरिका के सहयोग पर भी वार्ता हुई, जहाँ अमेरिकी बाजार में भारतीय जेनेरिक दवाओं की भारी मांग है.