कभी जंग, कभी कब्जा... जानिए बगावत से पहले पुतिन के कब कब काम आई वैगनर आर्मी?
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रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के खिलाफ गद्दारी करने वाली वैगनर आर्मी कई बार उनके काम आई है. वैगनर आर्मी पर पूर्वी यूक्रेन से लेकर सीरिया और लीबिया तक में रूस की मदद करने के आरोप लगते रहे हैं. अभी यूक्रेन में जो जंग चल रही है, उसमें भी वैगनर आर्मी का नाम कई बार सामने आ चुका है.
रूस की प्राइवेट आर्मी वैगनर ग्रुप के प्रमुख येवगेनी प्रिगोजिन कभी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के करीबी रहे हैं. लेकिन कुछ दिन पहले प्रिगोजिन ने पुतिन के खिलाफ ही बगावत कर दी.
पुतिन ने प्रिगोजिन के इस कदम को 'गद्दारी' और 'पीठ में छुरा घोंपने' वाला बताया. हालांकि, प्रिगोजिन ने दावा किया कि वो यूक्रेन में युद्ध की कमान संभाल रहे कमांडरों का विरोध कर रहे हैं. ऐसा करके प्रिगोजिन ने खुद को 'देशभक्त' के तौर पर पेश करने की कोशिश की.
वैगनर ग्रुप सिर्फ रूस ही नहीं, बल्कि अफ्रीकी देशों में भी एक्टिव है. दावा तो ये भी किया जाता है कि यूक्रेन में भी वैगनर ग्रुप के भाड़े के सैनिक मौजूद हैं, जो पुतिन की मदद कर रहे हैं.
येवगेनी प्रिगोजिन न सिर्फ वैगनर ग्रुप की कमान संभाल रहे हैं, बल्कि उसकी फंडिंग भी करते हैं. प्रिगोजिन रूस के जाने-माने कारोबारी हैं और पुतिन के काफी करीबी रहे हैं. लेकिन जब इन्हीं प्रिगोजिन ने पुतिन की सत्ता को चुनौती दी तो उनकी तुलना 'गद्दार' से कर दी गई. लेकिन इन्हीं प्रिगोजिन की वैगनर ग्रुप की बदौलत रूस ने यूक्रेन पर क्रीमिया के कब्जे से लेकर सीरिया और चेचन्या तक में जीत हासिल की है.
कैसे बना वैगनर ग्रुप?
- रूसी सेना की स्पेशल फोर्स में लेफ्टिनेंट कर्नल रहे दिमित्री दुत्किन ने वैगनर ग्रुप के पहले कमांडर थे. दुत्किन के निकनेम पर ही इस प्राइवेट आर्मी का 'वैगनर' रखा गया.
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