ओम बिरला vs के. सुरेश... 72 साल में तीसरी बार स्पीकर पद के लिए होगा चुनाव, ये रही है हिस्ट्री
AajTak
लोकसभा अध्यक्ष के पद को लेकर BJP के नेतृत्व वाले NDA और विपक्ष के इंडिया ब्लॉक के बीच आम सहमति नहीं बन पाई है. NDA और इंडिया ब्लॉक के उम्मीदवारों ने नामांकन पत्र दाखिल कर दिया है. पहली बार लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए चुनाव होगा. एनडीए ने बीजेपी सांसद ओम बिरला को अपना उम्मीदवार बनाया है. विपक्ष ने दिग्गज कांग्रेस नेता के सुरेश को मैदान में उतारने का फैसला किया है.
लोकसभा अध्यक्ष को लेकर आम सहमति बनाए जाने की तमाम कोशिशों पर फिलहाल पानी फिर गया है. विपक्ष ने नॉमिनेशन की डेडलाइन से ठीक पहले कांग्रेस सांसद कोडिकुन्निल सुरेश को इंडिया ब्लॉक का उम्मीदवार घोषित कर दिया है. कुछ ही देर बाद के सुरेश ने नामांकन पत्र भी दाखिल कर दिया. इससे पहले एनडीए की तरफ से बीजेपी सांसद ओम बिरला ने नॉमिनेशन किया. दोपहर 12 बजे तक नॉमिनेशन के लिए अंतिम समय सीमा रखी गई थी.
72 साल में तीसरी बार स्पीकर को लेकर चुनाव होने जा रहा है. इससे पहले 1952, 1974 में भी स्पीकर को लेकर चुनाव हुआ है. अब 2024 में तीसरी बार चुनाव होने जा रहा है. अब तक पक्ष और विपक्ष के बीच सहमति से स्पीकर बनता आया है.
इससे पहले एनडीए की तरफ से स्पीकर चुनाव के लिए आम सहमति बनाने की कोशिश की गई और बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं ने इंडिया ब्लॉक के नेताओं से बातचीत की. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने अलग-अलग नेताओं से मुलाकात की और फोन पर बातचीत की. सूत्रों का कहना था कि स्पीकर के नाम पर विपक्षी दलों के साथ सहमति बनती तो डिप्टी स्पीकर का पद विपक्ष दिया जा सकता है. हालांकि, विपक्ष का कहना है कि डिप्टी स्पीकर पद नहीं दिया जा रहा था, इसलिए बात बिगड़ गई.
क्यों बिगड़ गई बात?
इससे पहले राजनाथ सिंह के साथ मीटिंग में कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा कि कल आपने कहा था कि हम डिप्टी स्पीकर को लेकर आपको बताएंगे. लेकिन अभी तक आपने बताया नहीं है. दरअसल, स्पीकर के नॉमिनेशन पेपर पर साइन करने के लिए राजनाथ सिंह ने केसी वेणुगोपाल को बुलाया था. डीएमके नेता टीआर बालू भी राजनाथ से मिलने पहुंचे थे.
Live: पहली बार स्पीकर का होगा चुनाव, ओम बिरला के खिलाफ कांग्रेस ने के. सुरेश को उतारा, टीएमसी INDIA ब्लॉक से खफा
मणिपुर हिंसा को लेकर देश के पूर्व गृहमंत्री पी चिदंबरम खुद अपनी पार्टी में ही घिर गए हैं. उन्होंने मणिपुर हिंसा को लेकर एक ट्वीट किया था. स्थानीय कांग्रेस इकाई के विरोध के चलते उन्हें ट्वीट भी डिलीट करना पड़ा. आइये देखते हैं कि कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व क्या मणिपुर की हालिया परिस्थितियों को समझ नहीं पा रहा है?
महाराष्ट्र में तमाम सियासत के बीच जनता ने अपना फैसला ईवीएम मशीन में कैद कर दिया है. कौन महाराष्ट्र का नया मुख्यमंत्री होगा इसका फैसला जल्द होगा. लेकिन गुरुवार की वोटिंग को लेकर सबसे ज्यादा चर्चा जनता के बीच चुनाव को लेकर उत्साह की है. जहां वोंटिग प्रतिशत में कई साल के रिकॉर्ड टूट गए. अब ये शिंदे सरकार का समर्थन है या फिर सरकार के खिलाफ नाराजगी.