![ऐसा देश जहां वर्किंग ऑवर बढ़ाए नहीं, घटाए जा रहे हैं, फिर भी दुनिया में मनवा रहा लोहा!](https://akm-img-a-in.tosshub.com/aajtak/images/story/202501/6781f2d3e865b-japans-emerging-workforce-focuses-on-work-life-balance-112553467-16x9.jpg)
ऐसा देश जहां वर्किंग ऑवर बढ़ाए नहीं, घटाए जा रहे हैं, फिर भी दुनिया में मनवा रहा लोहा!
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हाल ही में लार्सन एंड टुब्रो (L&T) के चेयरमैन एसएन सुब्रह्मण्यन के बयान ने देश में वर्किंग कल्चर पर बहस खड़ी कर दी. उन्होंने कर्मचारियों को हफ्ते में 90 घंटे, यानी रविवार समेत काम करने की सलाह दी, जो कई लोगों को बेतुकी और अव्यावहारिक लगी. यह बयान ऐसे वक्त आया है जब भारत में पहले से ही लोग अत्यधिक काम के बोझ से जूझ रहे हैं.
हाल ही में लार्सन एंड टुब्रो (L&T) के चेयरमैन एसएन सुब्रह्मण्यन के बयान ने देश में वर्किंग कल्चर पर बहस खड़ी कर दी. उन्होंने कर्मचारियों को हफ्ते में 90 घंटे, यानी रविवार समेत काम करने की सलाह दी, जो कई लोगों को बेतुकी और अव्यावहारिक लगी. यह बयान ऐसे वक्त आया है जब भारत में पहले से ही लोग अत्यधिक काम के बोझ से जूझ रहे हैं.
अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) के मुताबिक, औसतन भारतीय कर्मचारी हर सप्ताह 46.7 घंटे काम करता है. वहीं, देश के 51% कर्मचारी हर सप्ताह 49 घंटे या उससे ज्यादा काम करते हैं. इस मामले में भारत दुनिया में दूसरे स्थान पर है. ये आंकड़े साफ तौर पर दिखाते हैं कि भारत में वर्क-लाइफ बैलेंस अब भी एक बड़ी चुनौती बना हुआ है.
जहां भारत में काम के घंटे बढ़ाने की बात हो रही है, वहीं जापान, जो कभी लंबी वर्किंग आवर्स के लिए बदनाम था, अब एक नई राह में बढ़ रहा है.
'काम जिंदगी का हिस्सा है, पूरी जिंदगी नहीं' जापान एक ऐसा देश है जो लंबे समय से कठोर कामकाजी संस्कृति और दबाव के लिए जाना जाता था. इसका सबसे भयानक पहलू था करोशी, यानी अत्यधिक काम के कारण होने वाली मौतें. लेकिन अब जापान में कामकाज की संस्कृति में बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है. जापान में 2022 में ही करीब 3,000 लोग अत्यधिक काम की वजह से आत्महत्या कर चुके हैं, जबकि कई अन्य स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे हैं. लंबे कामकाजी घंटे और टारगेट पूरे करने का प्रेशर लोगों की सेहत पर भारी पड़ रहा है.
साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, जापान में वार्षिक कामकाजी घंटों में भारी गिरावट आई है. 2000 में जहां औसत कामकाजी घंटे 1,839 घंटे थे. वहीं 2022 तक यह घटकर 1,626 घंटे रह गए. यानी 11.6% की कमी. यह बदलाव जापान को उन यूरोपीय देशों के करीब ला रहा है, जहां काम और जीवन के बीच संतुलन को प्राथमिकता दी जाती है.
इस बदलाव के पीछे जापान की युवा पीढ़ी का बड़ा हाथ है. उनकी प्राथमिकता अब लंबी वर्किंग आवर्स की बजाय वर्क-लाइफ बैलेंस बनाना है.
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प्रयागराज में माघ पूर्णिमा के अवसर पर करीब 2 करोड़ श्रद्धालुओं ने संगम में आस्था की डुबकी लगाई. इस दौरान शासन-प्रशासन हर मोर्चे पर चौकस रहा. योगी आदित्यनाथ ने सुबह 4 बजे से ही व्यवस्थाओं पर नजर रखी थी. श्रद्धालुओं की भारी भीड़ के कारण ट्रेनों और बसों में यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ा. देखें.
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हिंदू पंचांग के अनुसार माघ मास में शुक्ल पक्ष का 15वीं तिथि ही माघ पूर्णिमा कहलाती है. इस दिन का धार्मिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से खास महत्व है और भारत के अलग-अलग हिस्सों में इसे श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है. लोग घरों में भी कथा-हवन-पूजन का आयोजन करते हैं और अगर व्यवस्था हो सकती है तो गंगा तट पर कथा-पूजन का अलग ही महत्व है.