एक्सीडेंट करके भागे तो 10 साल की कैद, भड़काऊ भाषण पर 5 साल की सजा... पढ़ें- तीन नए क्रिमिनल लॉ बिल की बड़ी बातें
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अमित शाह ने कहा कि पहली बार आपराधिक न्याय प्रणाली में मानवीय स्पर्श होगा. उन्होंने कहा कि आजादी के 75 साल बाद भी हम अभी भी यूके सरकार द्वारा बनाए गए कानूनों का पालन कर रहे हैं. गृहमंत्री ने कहा कि मॉब लिंचिंग एक जघन्य अपराध है, इन कानूनों में इसके लिए मौत की सजा का प्रावधान है.
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने बुधवार को लोकसभा में तीन नए क्रिमिनल लॉ बिल पर चर्चा की. इस दौरान भारतीय न्याय संहिता विधेयक 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता विधेयक 2023 और भारतीय साक्ष्य विधेयक 2023 को ध्वनिमत से मंजूरी मिल गई. अमित शाह ने कहा कि पहली बार आपराधिक न्याय प्रणाली में मानवीय स्पर्श होगा. उन्होंने कहा कि आजादी के 75 साल बाद भी हम अभी भी यूके सरकार द्वारा बनाए गए कानूनों का पालन कर रहे हैं. हम अभी भी हर मेजेस्टी, ब्रिटिश किंगडम, द क्राउन, बैरिस्टर जैसे अंग्रेजी शब्दों का उपयोग करते हैं. गृहमंत्री ने इन तीनों बिलों की खासियतें गिनाईं.
नए क्रिमिनल लॉ बिल के तहत अब रोड रेज या सड़क पर एक्सीडेंट करके फरार होने वाले लोग कानून से नहीं बच पाएंगे. उनके लिए सख्त और सटीक कानून आया है. केंद्र सरकार ने रोड एक्सीडेंट करके भागने वालों को अनिवार्य रूप से कानून के सामने लाने के लिए सख्त कानून बनाया है. इसके तहत रोड पर एक्सीडेंट करके फरार होने के जुर्म में 10 साल तक कैद की सजा का प्रावधान है. वहीं, अगर एक्सीडेंट करने वाला शख्स घायल व्यक्ति को हॉस्पिटल पहुंचाता है, तो उसकी सजा कम की जा सकती है. इस कानून की जानकारी गृहमंत्री अमित शाह ने आज लोकसभा में दी है.
अगले 100 साल को ध्यान में रखकर तैयार किए कानून
गृहमंत्री ने कहा कि पहली बार भारतीयता, भारतीय संविधान और भारत के लोगों से संबंधित लगभग 150 साल पुरानी आपराधिक न्याय प्रणाली को नियंत्रित करने वाले तीन कानूनों में बदलाव किए गए हैं. इन कानूनों में अगले 100 वर्षों में होने वाले संभावित तकनीकी नवाचारों की कल्पना करके देश की न्यायिक प्रणाली को सुसज्जित करने के लिए सभी प्रावधान किए गए हैं.
मॉब लिंचिंग पर मौत की सजा का प्रावधान
गृहमंत्री ने कहा कि मॉब लिंचिंग एक जघन्य अपराध है, इन कानूनों में इसके लिए मौत की सजा का प्रावधान है. पुलिस और नागरिकों के अधिकारों के बीच अच्छा संतुलन कायम किया गया है. शाह ने कहा कि दंड प्रक्रिया संहिता की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, जिसमें 484 धाराएं हैं, इसमें अब 531 धाराएं होंगी. कुल 177 धाराएं बदली गई हैं. 9 नई धाराएं जोड़ी गईं और 14 निरस्त की गईं हैं.
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