उत्तराखंड, अरुणाचल, मध्य प्रदेश और अब महाराष्ट्र... जब अपनी ही पार्टी की चूलें हिलाकर इन नेताओं ने बीजेपी को सत्ता दिलाई
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महाराष्ट्र में ढाई साल बाद बीजेपी की सरकार बननी लगभग तय है. शिवसेना के बागी विधायक एकनाथ शिंदे की मदद से बीजेपी फिर से सत्ता तक पहुंच रही है. इससे पहले भी बीजेपी को सत्ता पार्टी की बगावत से सरकार बनाने में मदद मिली थी. जानें, कैसे महाराष्ट्र से पहले तीन राज्यों में बीजेपी की इन बागी नेताओं ने मदद की.
उद्धव ठाकरे ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है. ठाकरे के इस्तीफे के साथ ही महा विकास अघाड़ी की 31 महीने पुरानी सरकार गिर गई है. उद्धव ठाकरे सरकार का काउंटडाउन 21 जून की रात से ही तब शुरू हो गया था, जब एकनाथ शिंदे अपने साथ 13 विधायकों को लेकर सूरत के एक होटल में चले गए थे. वहीं, जैसे-जैसे दिन गुजरते गए, वैसे-वैसे शिंदे के खेमा बढ़ता गया और उद्धव ठाकरे के हाथों से सत्ता की डोर खिसकती गई और बुधवार शाम पूरी तरह से निकल गई.
महाराष्ट्र में शिवसेना और उद्धव ठाकरे के लिए एकनाथ शिंदे भले ही 'विलेन' बन गए, लेकिन बीजेपी के लिए वो 'हीरो' बन गए. अब महा विकास अघाड़ी सरकार गिरने के बाद अब बीजेपी की दोबारा वापसी लगभग तय हो गई है. बताया जा रहा है कि जल्द ही शिंदे गुट और बीजेपी मिलकर राज्यपाल के सामने सरकार बनाने का दावा पेश कर सकते हैं. सूत्रों का कहना है कि अगले 48 घंटे में मुख्यमंत्री और डिप्टी सीएम पद की शपथ भी हो जाएगी. हालांकि, अभी तक नाम नहीं आया है कि कौन सीएम बनेगा और कौन डिप्टी सीएम?
2019 में बीजेपी महाराष्ट्र में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी, लेकिन शिवसेना के नाता तोड़ने के चलते सरकार बनाने से महरूम रह गई थी. बीजेपी के लिए यह सियासी तौर पर काफी बड़ा झटका था, क्योंकि साल 2014 के बाद पहली बार किसी ने सियासी मात दी थी. उद्धव ठाकरे ने कांग्रेस-एनसीपी के साथ मिलकर सरकार ही नहीं बनाई बल्कि मुख्यमंत्री बन गए थे.
बीजेपी इसी के बाद से उद्धव ठाकरे की सरकार के तख्ता पलट की योजना बना रही थी, लेकिन अमलीजामा नहीं पहना पा रही थी. ऐसे में बीजेपी को उद्धव ठाकरे और शिवसेना के मजबूत सिपहसलार एकनाथ शिंदे का साथ मिला, जिसके जरिए सत्ता में वापसी की इबारत लिखी गई. यही वजह है कि शिंदे का सियासी कद बीजेपी की सरकार में बढ़ना तय है, क्योंकि उनके दम पर बीजेपी का सपना साकार होने जा रहा है.
बहरहाल, महाराष्ट्र चौथा राज्य है जहां अपनी ही पार्टी की चूलें हिलाकर नेताओं ने बीजेपी को सत्ता तक पहुंचा दिया. इससे पहले मध्य प्रदेश, अरुणाचल और उत्तराखंड में भी ऐसा ही हो चुका है.
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