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ईरान में दो लड़कियां अरेस्ट, डांस करते हुए बना रही थी रील, अब मिलेगी कोड़े खाने की सजा
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ईरान में दो लड़कियों को डांस करते हुए सोशल मीडिया पर वीडियो डालने के लिए गिरफ्तार किया गया है. इसके बाद से इसका काफी विरोध हो रहा है.
तेहरान में एक युद्ध स्मारक पर नृत्य करने का वीडियो वायरल होने के बाद ईरान में दो लड़कियों को गिरफ्तार कर लिया गया है. यह वीडियो इंस्टाग्राम पर साझा किया गया था और इसमें दोनों लड़कियां सैक्रेड डिफेंस वॉर मेमोरियल पर नृत्य करती नजर आईं. यह स्मारक 1980-1982 के ईरान-इराक युद्ध में मारे गए सैनिकों को समर्पित है.
अशोभनीय पहनावे का लगा आरोप डेली मेल की रिपोर्ट के अनुसार वीडियो में दोनों लड़कियों ने जींस पहन रखी थी. एक ने बुना हुआ स्वेटर और दूसरी ने कार्डिगन के ऊपर नीला टॉप पहना हुआ था. ईरानी अधिकारियों का कहना है कि यह पहनावा अशोभनीय था. इसके बाद लड़कियों के इंस्टाग्राम अकाउंट भी बंद कर दिए गए. इस गिरफ्तारी के बाद, कई ईरानी महिलाओं ने अपने नृत्य वीडियो पोस्ट करके विरोध जताया.
99 कोड़े की मिल सकती है सजा ईरान के दंड संहिता के अनुच्छेद 637 के तहत सार्वजनिक स्थान पर नृत्य करना, चाहे वह महिला हो या पुरुष, सार्वजनिक शालीनता के खिलाफ अपराध माना जाता है. इसकी सजा 99 बार कोड़े मारने तक हो सकती है. हालांकि, यह पहली बार नहीं है जब ईरान में किसी को नृत्य करने के लिए कठोर सजा का सामना करना पड़ा हो.
2014 में, छह युवाओं को फ़ारेल विलियम्स के गाने हैप्पी पर नृत्य करते हुए वीडियो पोस्ट करने के लिए एक साल की निलंबित जेल और 91 कोड़ों की सजा सुनाई गई थी. 2018 में, 18 वर्षीय माइदे होजाबरी को सोशल मीडिया पर नृत्य करते हुए वीडियो पोस्ट करने के लिए गिरफ्तार किया गया था.
डांस पर रोक की वजह से लड़की ने दे दी थी जान नवंबर 2024 में एक 16 वर्षीय लड़की, अरज़ू खवारी, ने आत्महत्या कर ली. उसे उसके स्कूल द्वारा यह धमकी दी गई थी कि अगर वह बिना हिजाब के नृत्य करती रही तो उसे निष्कासित कर दिया जाएगा. अरज़ू, जो अफगान नागरिक थी और तेहरान के शाहरारी शहर में रहती थी. लंबे समय से स्कूल की कठोर ड्रेस कोड नीति और उत्पीड़न का शिकार थी।
ईरान में महिलाएं अपने लिए उठाती रही हैं आवाज ईरान में महिलाएं और लड़कियां अपने अधिकारों के लिए लगातार आवाज उठा रही हैं. 2022 के विरोध प्रदर्शनों में, स्कूल की छात्राओं ने पाठ्यपुस्तकों को फाड़ा और धार्मिक नेताओं के चित्रों को नष्ट कर दिया था. कई ने अपने सिर के स्कार्फ हवा में लहराकर इसे इस्लामिक शासन के सख्त नैतिक नियमों के खिलाफ विरोध के प्रतीक के रूप में इस्तेमाल किया.
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हिंदू पंचांग के अनुसार माघ मास में शुक्ल पक्ष का 15वीं तिथि ही माघ पूर्णिमा कहलाती है. इस दिन का धार्मिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से खास महत्व है और भारत के अलग-अलग हिस्सों में इसे श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है. लोग घरों में भी कथा-हवन-पूजन का आयोजन करते हैं और अगर व्यवस्था हो सकती है तो गंगा तट पर कथा-पूजन का अलग ही महत्व है.