
इस इस्लामिक देश को सामान बेचना भारत के लिए क्यों हुआ मुश्किल? लगातार गिरता जा रहा निर्यात
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भारत और ईरान की अर्थव्यवस्थाएं बहुत हद तक जुड़ी हुई हैं. लेकिन ईरान को भारत के निर्यात में भारी कमी आ रही है. इसका कारण ईरान पर लगे अमेरिकी प्रतिबंधों को बताया जा रहा है.
मध्य-पूर्व में भारत के सहयोगी देश ईरान को होनेवाले निर्यात में पिछले एक साल से कमी आ रही है. निर्यात में यह कमी पश्चिम एशिया अर्थव्यवस्था में रुपये के भंडार में गिरावट के बीच देखी जा रही है. मामले से परिचित सूत्रों ने कहा कि आनेवाले समय में भूराजनीतिक तनाव को देखते हुए ईरान को निर्यात बढ़ाने की भारत की कोशिशें आसान नहीं होने वाली है. रूस-यूक्रेन युद्ध, इजरायल हमास युद्ध में मध्य-पूर्व के देशों का रूस और हमास को समर्थन करना भारत की मुश्किलें बढ़ा रहा है.
पिछले साल नवंबर से ईरान को भारत से होने वाले निर्यात में गिरावट देखी गई. 2023 में, जनवरी-अक्टूबर के दौरान ईरान की तरफ जाने वाला शिपमेंट लगभग 44 प्रतिशत घटकर 88.8 करोड़ डॉलर हो गया.
निर्यात में इतनी बड़ी गिरावट का मुख्य कारण बासमती चावल के साथ-साथ हाई क्वालिटी वाली चाय और चीनी, ताजे फल और बिना हड्डी वाले गौमांस जैसे अन्य खाद्य पदार्थों के निर्यात में कमी है.
2023 के पहले 10 महीनों के दौरान बासमती चावल के निर्यात में 42 प्रतिशत की गिरावट देखी गई और यह गिरकर 55.3 करोड़ डॉलर हो गया.
ईरान को निर्यात में कमी की वजह क्या?
यह कमी बहुत बड़ी इसलिए मानी जा रही है क्योंकि भारत के सुगंधित लंबे दाने वाले बासमती चावल के कुल निर्यात का 62% हिस्सा ईरान को जाता है. वित्त वर्ष 23 में, भारत के कुल बासमती चावल निर्यात का पांचवां हिस्सा ईरान को भेजा गया था.

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