
इस्लामाबाद में रैली-सभाओं की लाइव कवरेज पर रोक, इमरान खान की कोर्ट में पेशी से पहले PEMRA का फैसला
AajTak
इस्लामाबाद में इमरान की हाई कोर्ट में पेशी से पहले पाकिस्तान इलेक्ट्रॉनिक मीडिया रेगुलेटरी अथॉरिटी ने बड़ा फैसला लिया है. PEMRA ने मीडिया चैनलों को इस्लामाबाद में किसी भी तरह की रैली या सार्वजनिक सभाओं के लाइव प्रसारण पर रोक लगा दी है.
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के इस्लामाबाद हाई कोर्ट में पेश होने से कुछ घंटे पहले इलेक्ट्रॉनिक मीडिया निगरानी संस्थान ने रैलियों और सार्वजनिक सभाओं के लाइव कवरेज पर रोक लगा दी. इमरान खान सात मामलों में जमानत के लिए हाई कोर्ट में पेश होने वाले थे.
पाकिस्तान इलेक्ट्रॉनिक मीडिया रेगुलेटरी अथॉरिटी (PEMRA) ने अपनी एडवाइजरी में कहा कि इमरान खान की उपस्थिति से संघीय राजधानी में कानून और व्यवस्था की स्थिति पैदा हो सकती है. PEMRA ने गौर किया कि टीवी चैनल पुलिस और दूसरी एजेंसियों पर हमला करने वाली हिंसक भीड़ की लाइव फुटेज और तस्वीरें चलाते हैं.
एडवाइजरी में लिखा गया है, "लाहौर और इस्लामाबाद में राजनीतिक दल के कार्यकर्ताओं और कानून प्रवर्तन एजेंसियों के बीच हालिया गतिरोध के दौरान बिना किसी संपादकीय निरीक्षण के टीवी पर ऐसे फुटेज या चित्र देखे गए, जिसमें हिंसक भीड़ ने पेट्रोल बमों का इस्तेमाल किया और पुलिसकर्मियों को घायल किया, पुलिस के वाहनों में आग लगा दी." इससे दर्शकों के बीच दहशत पैदा हो गई.
PEMRA ने मीडिया चैनलों को दी चेतावनी
इसमें चेतावनी दी गई है कि भीड़ द्वारा ऐसा करना न केवल कानून और व्यवस्था की स्थिति को खतरे में डालता है बल्कि सार्वजनिक संपत्तियों और जीवन को भी असुरक्षित बनाता है. PEMRA ने कहा कि इस तरह की सामग्री का प्रसारण सुप्रीम कोर्ट के कई फैसलों के उल्लंघन के समान होगा.
इमरान के भाषणों के टेलिकास्ट पर लगी है रोक

पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ ने गुरुवार को बलूचिस्तान के दौरे पर पहुंचे हैं, जहां उन्होंने कानून-व्यवस्था की स्थिति की समीक्षा की. पाकिस्तानी सेना का दावा है कि उसने रेस्क्यू ऑपरेशन पूरा कर लिया है तो दूसरी ओर बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) का कहना है कि ISPR द्वारा किए गए दावे झूठे हैं और पाक हार को छिपाने की नाकाम कोशिश कर रहा है.

पाकिस्तान द्वारा बलूचिस्तान पर जबरन कब्जे के बाद से बलूच लोग आंदोलन कर रहे हैं. पाकिस्तानी सेना ने पांच बड़े सैन्य अभियान चलाए, लेकिन बलूच लोगों का हौसला नहीं टूटा. बलूच नेता का कहना है कि यह दो देशों का मामला है, पाकिस्तान का आंतरिक मुद्दा नहीं. महिलाओं और युवाओं पर पाकिस्तानी सेना के अत्याचार से आजादी की मांग तेज हुई है. देखें.