इधर वोटिंग का मीटर UP, उधर प्राइस मीटर DOWN... समझिए पेट्रोल-डीजल का चुनावी कनेक्शन, क्या होता है फायदा?
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लोकसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान हो गया है. पिछली बार की तरह ही इस बार भी सात चरणों में वोटिंग होगी. 19 अप्रैल से 1 जून के बीच वोट डाले जाएंगे, जबकि 4 जून को नतीजे आएंगे. लेकिन इससे पहले केंद्र सरकार ने बीते गुरुवार को पेट्रोल-डीजल की कीमत में कटौती करने का ऐलान कर दिया. ऐसे में जानते हैं कि क्या पेट्रोल-डीजल की कीमत में कटौती करने से चुनाव में कोई फायदा होता है या नहीं?
बस कुछ दिन और फिर नई सरकार का गठन हो जाएगा. लोकसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान हो गया है. लेकिन तारीखों के ऐलान से दो दिन पहले ही केंद्र सरकार ने बड़ा ऐलान कर दिया. सरकार ने पेट्रोल और डीजल के दाम में 2 रुपये की कटौती कर दी है.
यानी, जैसे-जैसे वोटिंग का मीटर 'UP' यानी चुनावी तारीखें नजदीक आती हैं, वैसे-वैसे पेट्रोल-डीजल की कीमत का मीटर 'DOWN' यानी कटौती हो जाती है.
इससे पहले मई 2022 में केंद्र सरकार ने एक्साइज ड्यूटी में कटौती कर राहत दी थी. तब से ही पेट्रोल और डीजल की कीमतें स्थिर थीं. लगभग 22 महीने बाद पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कोई कटौती हुई है.
कटौती के बाद राजधानी दिल्ली में एक लीटर पेट्रोल की कीमत 94.72 रुपये और डीजल की कीमत 87.62 रुपये हो गई है.
इससे पहले मोदी सरकार ने 8 मार्च को बगैर सब्सिडी वाले एलपीजी सिलेंडर पर 100 रुपये कटौती करने का ऐलान किया था.
चुनाव से ठीक पहले पेट्रोल-डीजल और गैस सिलेंडर के दाम कम करने पर विपक्ष ने हमला बोला है. कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम ने इसे 'चालाकी' बताया है. उन्होंने कहा, 'मैंने पिछले हफ्ते ही कहा था कि पेट्रोल-डीजल की कीमतें कम होंगी और आज हो गईं. क्या सरकार कहेगी कि चुनाव के बाद अगर बीजेपी फिर सत्ता में आती है तो कीमतें नहीं बढ़ाई जाएंगी?'
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