आसमान से गिरी 500 किलो की लोहे की विशाल रिंग, आखिर क्या है ये चीज? पता लगा रहे...
AajTak
एक गांव में अचानकार आसमान से एक बड़ा सा आग का जलता गोला धरती पर आ गिरा. ये देख आसपास के लोग डर गए. जब पास आकर देखा तो एक विशालकाय लोहे की रिंग पड़ी थी.
केन्या के एक गांव में अजीब घटना घटी. यहां आसमान से एक विशालकाय धातु की रिंग जमीन पर आ गिरा. केन्या के दक्षिणी हिस्से में स्थित माकुनी काउंटी के मुकुकु गांव में आकाश से एक बड़ा धातु का छल्ला गिरा. यह धातु का टुकड़ा, जो लगभग 8 फीट (2.5 मीटर) व्यास और करीब 1,100 पाउंड (500 किलोग्राम) वजनी है.
आसमान से गिरे विशालकाय लोहे के रिंग को देख आसपास के लोग पहले तो डर गए. क्योंकि यह जलता हुआ जमीन पर गिरा था. फिर इसकी सूचना स्थानीय प्रशासन को दी. लोगों की समझ में नहीं आया कि आखिर आसमान से इतना विशाल छल्ला आया कहां से?
अंतरिक्ष एजेंसी ने सुरक्षित कर लिया मलबा सूचना मिलते ही केन्या अंतरिक्ष एजेंसी (KSA) ने मौके पर पहुंचकर मलबे को सुरक्षित कर लिया और इसे जांच के लिए एजेंसी की कस्टडी में ले लिया है. हालांकि, हार्वर्ड-स्मिथसोनियन सेंटर फॉर एस्ट्रोफिजिक्स के विशेषज्ञ और पुनः प्रवेश ट्रैकर जोनाथन मैकडॉवेल ने कहा कि मलबे पर "पुनः प्रवेश के दौरान गर्मी के स्पष्ट सबूत" नहीं दिखे, जिससे यह संभावना भी बनती है कि यह किसी विमान का हिस्सा हो सकता है.
रॉकेट हार्डवेयर का हिस्सा होने की संभावना वहीं, अंतरिक्ष मलबे के विशेषज्ञ डैरेन मैकनाइट ने बताया कि कभी-कभी अंतरिक्ष मलबा किसी सैक्रिफिशियल मास से ढका रहता है, जो जल जाता है और हार्डवेयर पुनः धरती के वायुमंडल में प्रवेश करता है. इनसाइड आउटर स्पेस की शुरुआती जांच में एयरोस्पेस कॉर्पोरेशन के सेंटर फॉर ऑर्बिटल एंड रि-एंट्री डिब्री स्टडीज (CORDS) की पुनः प्रवेश डेटाबेस से यह अनुमान लगाया गया कि यह मलबा 2004 में लॉन्च किए गए एटलस सेंटौर रॉकेट से संबंधित हो सकता है.
यह रॉकेट 31 अगस्त 2004 को केप कैनावेरल स्पेस फोर्स स्टेशन से लॉन्च किया गया था और इसमें यूएसए-179 नामक एक गुप्त अमेरिकी सैन्य उपग्रह ले जाया गया था. हालांकि, अमेरिकी स्पेस फोर्स के डेटा के अनुसार, उस रॉकेट का मलबा रूस के लेक बैकाल के ऊपर पुनः प्रवेश करते हुए देखा गया था.
डिज़ाइन से मिलान की संभावना केन्या स्पेस एजेंसी ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक बयान जारी कर मुकुकु गांव के निवासियों, स्थानीय नेताओं और मीडिया का धन्यवाद किया, जिन्होंने इस घटना को तेजी से रिपोर्ट किया. घटना की स्वतंत्र जांच के दौरान, कुछ तस्वीरों और डिज़ाइन की तुलना से यह अनुमान लगाया गया कि यह मलबा बूस्टर हार्डवेयर से संबंधित हो सकता है.
प्रयागराज में माघ पूर्णिमा के अवसर पर करीब 2 करोड़ श्रद्धालुओं ने संगम में आस्था की डुबकी लगाई. इस दौरान शासन-प्रशासन हर मोर्चे पर चौकस रहा. योगी आदित्यनाथ ने सुबह 4 बजे से ही व्यवस्थाओं पर नजर रखी थी. श्रद्धालुओं की भारी भीड़ के कारण ट्रेनों और बसों में यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ा. देखें.
हिंदू पंचांग के अनुसार माघ मास में शुक्ल पक्ष का 15वीं तिथि ही माघ पूर्णिमा कहलाती है. इस दिन का धार्मिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से खास महत्व है और भारत के अलग-अलग हिस्सों में इसे श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है. लोग घरों में भी कथा-हवन-पूजन का आयोजन करते हैं और अगर व्यवस्था हो सकती है तो गंगा तट पर कथा-पूजन का अलग ही महत्व है.