आज का दिन: कोरोना के कारण बढ़ा ब्लैक फंगस या पहले से आते थे इतने केस?
AajTak
पिछले 24 घंटे में अकेले दिल्ली में 200 से ज्यादा ब्लैक फ़ंगस के केस देखने को मिले हैं और अब तक 18 राज्यों से लगभग साढ़े पांच हज़ार केस आ चुके हैं. क्या कोविड से पहले भी ब्लैक फंगस के इतने केस आते थे या फिर कोविड के बाद इसके इतने केस देखने को मिल रहे हैं?
27 मई के मॉर्निंग न्यूज़ पॉडकास्ट 'आज का दिन' में अमन गुप्ता के साथ सुनिए नीचे दी गई ख़बरों पर विस्तार से बात देश-दुनिया से ताज़ा हेडलाइंस, आज के अख़बारों से सुर्ख़ियां और इतिहास में आज के दिन की अहमियत. प्रोग्राम की लिंक सबसे नीचे दी गई है. वहां क्लिक करके आप इसे सुन पाएंगे. कुछ ही हफ्ते पहले की बात है जब दिल्ली में लोग बेड्स, ऑक्सीजन के लिए अस्पताल दर अस्पताल भटक रहे थे, ट्विटर पर मदद मांग रहे थे, लंबी लंबी कतार में ऑक्सीजन रिफिल करवा रहे थे. खुद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने केंद्र सरकार से ऑक्सीजन की डिमांड की फिर कोर्ट की फटकार का एक लंबा सिलसिला चला। लेकिन अब उसी दिल्ली में स्थिति बेहतर होती नज़र आ रही है, कोरोना के नए मामलों में लगातार कमी देखी जा रही है। पिछले 24 घंटे में 1500 से भी कम लोग कोरोना से संक्रमित हुए. और इसी के साथ दिल्ली में कोरोना संक्रमण की दर 2 फीसदी से भी कम हो गई है जो पिछले महीने 35 फिसदी तक पहुंच गई थी। दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने ट्वीट कर के कहा की, “ संक्रमण दर 1.93 प्रतिशत हो गई है और संक्रमण के मामले 1491 आए हैं. ये पिछले दो महीनों में सबसे कम हैं. हमें अब भी सभी एहतियाती उपाय करने और कोविड उपयुक्त व्यवहार का पालन करने की जरूरत है.”. ऐसे में, पिछले एक महीने में दिल्ली में कोरोना संक्रमण की दर जो 35 फ़ीसदी थी, 2 फ़ीसदी से भी कम कैसे हो गई? और, क्या इस ख़ुशखबरी से आश्वस्त हुआ जा सकता है कि हालात अब पटरी पर आ रहे हैं?मणिपुर हिंसा को लेकर देश के पूर्व गृहमंत्री पी चिदंबरम खुद अपनी पार्टी में ही घिर गए हैं. उन्होंने मणिपुर हिंसा को लेकर एक ट्वीट किया था. स्थानीय कांग्रेस इकाई के विरोध के चलते उन्हें ट्वीट भी डिलीट करना पड़ा. आइये देखते हैं कि कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व क्या मणिपुर की हालिया परिस्थितियों को समझ नहीं पा रहा है?
महाराष्ट्र में तमाम सियासत के बीच जनता ने अपना फैसला ईवीएम मशीन में कैद कर दिया है. कौन महाराष्ट्र का नया मुख्यमंत्री होगा इसका फैसला जल्द होगा. लेकिन गुरुवार की वोटिंग को लेकर सबसे ज्यादा चर्चा जनता के बीच चुनाव को लेकर उत्साह की है. जहां वोंटिग प्रतिशत में कई साल के रिकॉर्ड टूट गए. अब ये शिंदे सरकार का समर्थन है या फिर सरकार के खिलाफ नाराजगी.