'आजम खान की रिहाई के लिए करें आंदोलन’, सपा छात्र नेता ने अखिलेश यादव को खून से लिखा खत
AajTak
UP News: सपा के एक छात्र नेता ने पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव को खून से पत्र लिखा है. उसने पत्र में अखिलेश से मांग की है कि आजम खान की रिहाई के लिए आंदोलन किया जाना चाहिए.
UP Politics: समाजवादी पार्टी के दिग्गज नेता और पार्टी विधायक आजम खान की रिहाई की मुद्दा तूल पकड़ता जा रहा है. अब सपा के एक छात्र नेता ने पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव को खून से पत्र लिखा है. उसने पत्र में अखिलेश यादव से मांग की है कि आजम खान की रिहाई के लिए आंदोलन किया जाना चाहिए.
अखिलेश यादव को खून से पत्र लिखने वाले छात्र नेता का नाम आरिख खान अजहरी है. वह पीलीभीत की सपा छात्र सभा के जिला उपाध्यक्ष और पूर्व नगर अध्यक्ष है. आरिश खान अजहरी पूरनपुर का रहने वाला है. फिलहाल वह बीए फाइनल ईयर में है. आरिश तहसील के पास एक दुकान पर टाइपिंग का काम भी करता है.
आरिश खान अजहरी ने खून से अखिलेश यादव को लिखे पत्र में लिखा कि पिछले 25 महीने से हमारे नेता आजम खान के खिलाफ जो अत्याचार हो रहे है. उन पर हो रहे इस अत्याचार और उनकी रिहाई के लिए पार्टी के किसी बड़े नेता ने आंदोलन नहीं किया है. नेता प्रतिपक्ष रहते हुए अखिलेश यादव ने भी आंदोलन नहीं किया है. इस बात से खफा आरिश खान अजहरी ने लिखा खून से पत्र लिखा.
आरिश खान अजहरी ने यह पत्र बीते रविवार को लिखा. सपा कार्यकर्ता आरिश खान अजहरी ने बताया कि उसने अपने पत्र में आजम खान की रिहाई को लेकर लिखा है. जब पार्टी के बड़े नेता के साथ ये हो रहा है, तो हम छोटे कार्यकर्ता के साथ क्या होगा. आंदोलन कर आजम खान को रिहा कराना चाहिए
मणिपुर हिंसा को लेकर देश के पूर्व गृहमंत्री पी चिदंबरम खुद अपनी पार्टी में ही घिर गए हैं. उन्होंने मणिपुर हिंसा को लेकर एक ट्वीट किया था. स्थानीय कांग्रेस इकाई के विरोध के चलते उन्हें ट्वीट भी डिलीट करना पड़ा. आइये देखते हैं कि कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व क्या मणिपुर की हालिया परिस्थितियों को समझ नहीं पा रहा है?
महाराष्ट्र में तमाम सियासत के बीच जनता ने अपना फैसला ईवीएम मशीन में कैद कर दिया है. कौन महाराष्ट्र का नया मुख्यमंत्री होगा इसका फैसला जल्द होगा. लेकिन गुरुवार की वोटिंग को लेकर सबसे ज्यादा चर्चा जनता के बीच चुनाव को लेकर उत्साह की है. जहां वोंटिग प्रतिशत में कई साल के रिकॉर्ड टूट गए. अब ये शिंदे सरकार का समर्थन है या फिर सरकार के खिलाफ नाराजगी.