आकाश आनंद के आक्रामक तेवर या फिर खुद की विरासत बचाने की कवायद? मायावती के फैसले की INSIDE STORY
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आकाश आनंद बीएसपी में एक नए ध्रुव के तौर पर उभर रहे थे, जिससे कई बड़े नेता असहज भी थे. जिस तरीके से आकाश आनंद की पब्लिक रैलियों की डिमांड बढ़ने लगी थी उससे कई बड़े नेताओं में असुरक्षा की भावना भी घर कर रही थी.
जिस तरीके से आकाश आनंद के भाषणों में गुस्सा, गाली और आक्रामक तेवर दिखाई दिए, उससे कई बार आकाश मर्यादा की सीमा लांघते दिखे. जिसकी वजह से उनके ऊपर सीतापुर में मामले भी दर्ज कर लिए गए और मामले दर्ज होते ही उनके कार्यक्रम भी पार्टी ने रद्द कर दिए.
आकाश की दो चुनावी सभा में आम बोलचाल में बोली जाने वाली "गाली" शब्द का प्रयोग हुआ. आकाश आनंद ने योगी की सरकार के लिए 'आतंक की सरकार' का इस्तेमाल किया. इसके बाद बीएसपी सुप्रीमो को लगा कि केंद्र और योगी सरकार से सीधा पंगा उनके सियासी भविष्य को खतरे में डाल सकता है और जब मामले दर्ज होने शुरू हुए तो मायावती ने आकाश को इससे अलग रखना ही बेहतर समझा.
आकाश आनंद ने आज तक से खास इंटरव्यू में बताया था कि जब उन्हें यह जिम्मेदारी सौंपी जा रही थी तब मायावती ने यह कहा था कि यह पार्टी की जिम्मेदारी नहीं है यह बहुजन मूवमेंट की जिम्मेदारी है. इसलिए गलती की कोई गुंजाइश नहीं है और जैसे दूसरों को पदों से हटाया गया है वैसे उन्हें भी हटाया जा सकता है. मायावती आकाश आनंद के सियासत के तौर तरीकों से नाराज थीं.
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आकाश आनंद की रैलियों की बढ़ने लगी थी डिमांड
आकाश आनंद पार्टी में एक नए ध्रुव के तौर पर उभर रहे थे, जिससे कई बड़े नेता असहज थे, जिस तरीके से आकाश आनंद की पब्लिक रैलियों की डिमांड बढ़ने लगी थी उससे कई बड़े नेताओं में असुरक्षा की भावना भी घर कर रही थी. चर्चा यह भी है कि आकाश आनंद की रैलियां, मायावती की रैलियों से ज्यादा डिमांड में थीं और वह मायावती की रैलियों को ओवरशैडो कर रहे थे, जिससे मायावती के करीबी नेताओं का एक वर्ग नाराज था और इसकी शिकायत लगातार मायावती से कर रहा था.
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