
अमेरिका से दुश्मनी या अपना फायदा... तालिबान का नाम आतंकी लिस्ट से क्यों हटाने जा रहे पुतिन
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अफगानिस्तान में तालिबान लगभग तीन दशकों से एक्टिव है. साल 1999 में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) ने तालिबान को प्रतिबंधित आतंकी संगठनों की लिस्ट में डाला था. इसके कुछ महीने बाद ही रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने भी तालिबान को आतंकी लिस्ट में डालने वाली डिक्री पर दस्तखत कर दिए थे.
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन तालिबान को लेकर जल्द ही बड़ा फैसला लेने वाले हैं. बताया जा रहा है कि रूस जल्द ही तालिबान को आतंकी संगठन की लिस्ट से हटा सकता है. हालांकि, इस पर आखिरी फैसला होना अभी बाकी है.
माना जा रहा है कि पुतिन तालिबान के साथ अपने संबंध मजबूत करना चाहते हैं और उसे प्रतिबंधित आतंकी संगठनों की लिस्ट से हटाने पर विचार करना इसी बात का संकेत है. तालिबान से रूस इसलिए संबंध मजबूत करना चाहता है, क्योंकि वो एशिया में अमेरिकी प्रभाव को चुनौती दे रहा है.
रूस पहले भी तालिबान के साथ कई बार चर्चा कर चुका है. रूस के कजान शहर में मई में एक कार्यक्रम होने जा रहा है और तालिबान को इसका न्योता दिया गया है.
दोनों के बीच संबंध सुधारने की पहल इसी महीने की शुरुआत में उस वक्त ही शुरू हो गई थी, जब रूस ने तालिबान के नेताओं से बात की थी. रूस और तालिबान के बीच ये बातचीत मॉस्को के कंसर्ट हॉल में हुए कथित आतंकी हमले के कुछ हफ्तों बाद ही हुई थी. अमेरिका और पश्चिमी देशों ने मॉस्को के उस हमले के लिए इस्लामिक स्टेट-खुरासान (ISIS-K) पर आरोप लगाया था. इस्लामिक स्टेट-खुरासान अफगानिस्तान में एक्टिव है. हालांकि, रूस ने इस हमले के लिए यूक्रेन और अमेरिका को दोषी ठहराया था.
पुतिन ने ही लगाया था तालिबान पर बैन
अफगानिस्तान में तालिबान लगभग तीन दशकों से एक्टिव है. साल 1999 में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) ने तालिबान को प्रतिबंधित आतंकी संगठनों की लिस्ट में डाला था. इसके कुछ महीने बाद ही रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने भी तालिबान को आतंकी लिस्ट में डालने वाली डिक्री पर दस्तखत कर दिए थे.

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