
अमेरिका ने नकली बारिश के सहारे दुश्मन मुल्क में मचाई थी तबाही, हर तरफ बन गया था दलदल
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दूसरे वर्ल्ड वॉर के बाद दुनिया की सबसे बड़ी ताकत बन चुका अमेरिका गरीब कहलाते देश वियतनाम से बुरी तरह से हार गया था. हालत ये हुई कि जंग के मैदान में जीतना मुश्किल देख अमेरिका छल-कपट करने लगा. उसने साइंस की मदद से वियतनाम में नकली बारिश कराई ताकि दुश्मन सेना के गोला-बारूद बर्बाद हो जाएं. ये पहली बार था, जब युद्ध में मौसम ने तबाही मचाई थी.
प्रदूषण से जूझ रहे दिल्ली-NCR में नकली बारिश की बात हो रही है. चीन, जापान और अमेरिका जैसे कई देश अक्सर ही क्लाउड सीडिंग तकनीक से नकली बादल बनाते रहे ताकि सूखा खत्म हो सके. इस तकनीक को वेदर मॉडिफिकेशन कहते हैं, यानी जिस तरह हम जरूरत के मुताबिक अपने सामानों को मॉडिफाई करते हैं, वैसे ही मौसम का भी रिमोट कंट्रोल अपने हाथ आ जाए. सुनने में ये बात जितनी सुहानी लग रही है, असल में उतनी ही खतरनाक है.
अमेरिका का कुख्यात ऑपेरशन पोपेय
माना जा रहा है कि मौसम पर पूरा कंट्रोल पा चुके देश दुनिया में कोहराम मचा देंगे. वे दुश्मन देश में बेमौसम बारिश या सूखा ला देंगे ताकि वो बिना युद्ध के ही खत्म हो जाए. अमेरिका कथित तौर पर ऐसा कर भी चुका. वियतनाम से लड़ाई के दौरान उसने सेना के बंकरों और गोला-बारूद की जगहों पर बारिश करवाई थी. इससे काफी नुकसान भी हुआ था. इसे ऑपेरशन पोपेय के नाम से जाना जाता है.
वियतनाम पर अमेरिका क्यों हुआ हमलावर?
वियतनाम युद्ध क्यों हुआ, इसे फटाफट जानते चलें. दूसरे विश्व युद्ध के बाद जैसा कि ज्यादातर मुल्कों में हो रहा था, वियतनाम भी कम्युनिस्ट और पूंजीवादी यानी अमेरिकी सोच के बीच बंट गया. भीतर ही भीतर देश के दो हिस्से हो गए, जिसमें से एक कम्युनिस्ट था, तो दूसरा अमेरिकी मॉडल अपनाना चाहता था. अब अमेरिका भला ये मौका कैसे छोड़ता! वो भी जंग में कूद पड़ा. उसे ये डर भी था कि अगर वियतनाम जैसे छोटे देश को छूट मिल गई तो होते-होते रूस का पलड़ा भारी न पड़ जाए.

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