
अमेरिका ने चांद पर भेजीं इंसानी अस्थियां, मून मिशन को लीड कर रहा ये भारतवंशी
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52 साल बाद अमेरिका फिर चांद पर जा रहा है. नासा की मदद से एक प्राइवेट कंपनी एस्ट्रोबॉटिक टेक्नोलॉजी ने पेरेग्रिन लैंडर को लॉन्च कर दिया है. इस मिशन के पीछे एक भारतवंशी का दिमाग है. पेरेग्रिन के 23 फरवरी को चांद पर लैंड करने का है.
भारत के चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग के कुछ महीनों बाद अमेरिका फिर से चांद में अपनी दिलचस्पी दिखा रहा है. अब अमेरिका फिर से चांद पर लैंडर उतार रहा है. ये लैंडर प्राइवेट कंपनी एस्ट्रोबॉटिक टेक्नोलॉजी (Astrobotic Technology) का है. और इसे पेरेग्रिन (Peregrine) नाम दिया गया है. लैंडर का नाम बाज के नाम पर रखा गया है, जो दुनिया में सबसे तेज रफ्तार से उड़ने वाला पक्षी है.
52 साल बाद अमेरिका का ये पहला मून मिशन है. आखिरी बार 1972 में अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा (NASA) ने अपोलो-17 (Apollo-17) लॉन्च किया था.
पेरेग्रिन लैंडर को सोमवार को वल्कन रॉकेट (Vulcan rocket) से लॉन्च कर दिया गया है. इस रॉकेट को लॉकहीड मार्टिन और बोइंग ने मिलकर बनाया है.
न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक, ये मिशन नासा के कमर्शियल लूनार पेलोड सर्विस प्रोग्राम (CLPS) का हिस्सा है. इस प्रोग्राम का मकसद चांद पर पेलोड भेजने की लागत को कम करना है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, नासा ने एस्ट्रोबॉटिक को लैंडर बनाने के लिए 10.8 करोड़ डॉलर का फंड दिया था. भारतीय करंसी में ये रकम लगभग 900 करोड़ रुपये बैठती है.
बताया जा रहा है कि इस लैंडर पर दुनियाभर के बच्चों के 80 हजार से ज्यादा मैसेजेस भी लिखे हुए हैं. इसके पेलोड में माउंट एवरेस्ट के कुछ टुकड़े भी शामिल हैं. पर सबसे ज्यादा खास बात ये है कि इस पूरे मिशन की कमान एक भारतीय मूल के नागरिक के पास है. इस मून मिशन के डायरेक्टर शरद भास्करन हैं. शरद भास्करन इस समय एस्ट्रोबॉटिक टेक्नोलॉजी में मिशन डायरेक्टर हैं. इस मिशन में जो लैंडर चांद पर जा रहा है, उसे डिजाइन करने वाली टीम को भास्करन ने ही लीड किया है.
कौन हैं शरद भास्करन?

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