
अमीर देश चुपके से गरीब देशों में पहुंचा रहे जहरीला कचरा... क्यों ड्रग्स कारोबार से हो रही पर्यावरण से जुड़े इस क्राइम की तुलना?
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पर्यावरण से जुड़े क्राइम से अपराधी हर साल 110 अरब से 280 अरब डॉलर के बीच मुनाफा कमा रहे हैं. यूरोपोल (Europol) के मुताबिक, ड्रग्स और नकली सामानों के बाद ये तीसरा सबसे मुनाफा देने वाला अपराध है. सबसे खतरनाक बात है कि पर्यावरण से जुड़े अपराध न तो ज्यादा गंभीर लगते हैं, और न ही उसका पता लगता है.
मुनाफा देने वाले गंभीर अपराधों की बात करें तो दिमाग में क्या आता है? नशीली चीजों की तस्करी, नकली दवाओं, खाने का व्यापार, बच्चों और महिलाओं की तस्करी, गैंबलिंग और पैसों की हेराफेरी. अगर कोई कहे कि पर्यावरण से जुड़े अपराध इस लिस्ट में तीसरे नंबर पर हैं, जिनसे अपराधी जमकर पैसे कमा रहे हैं तो शायद पहली बार सुनने में अजीब भी लगे. यही वो वजह है कि जिसके चलते अपराधी खुलेआम पर्यावरण को नुकसान पहुंचाकर पैसे बटोर रहे हैं और हमारा ध्यान भी नहीं जा रहा.
आखिर पेड़ काटना ऐसा कौन सा बड़ा क्राइम है!
अमेजन का जंगल पूरी दुनिया में सबसे बड़ा रेन फॉरेस्ट है. विश्व को मिलने वाली कुल ऑक्सीजन में से 20% ऑक्सीजन यहीं से आती है. यही वजह है कि इसे धरती के लंग्स भी कहा जाता रहा. लेकिन बीते दशकभर के अंदर इन लंग्स को तेजी से नुकसान पहुंचाया गया. जंगलों की कटाई तो की ही गई, साथ ही वहां रहने वाली बस्तियों को उजाड़कर फेंक दिया गया. जिसका विरोध किया, उसे मार दिया गया. ये लकड़ियां दुनिया के डेवलप्ड देशों में तस्करी की गईं. ऐसे अपराध लगातार हो रहे हैं. इसमें छोटे-मोटे गिरोह नहीं होते, बल्कि ऑर्गेनाइज्ड क्राइम ग्रुप काम करते हैं.
इसे इकोसाइड कहा जा रहा है, यानी पर्यावरण की हत्या जब इंसानों की हत्या या क्रूरता पर सजा होती है, तो इसपर क्यों नहीं! वो भी तब, जबकि पेड़ काटने या नदियों में गंदगी बहाने से इंसानों के साथ-साथ पूरी इकलॉजी पर असर हो रहा है. इसी तर्क के साथ दुनियाभर के पर्यावरण एक्टिविस्ट इकट्ठा हो रहे हैं. उनकी मांग है कि वॉर क्राइम और नरसंहार की तरह ही इकोसाइड को भी क्राइम की श्रेणी में रखा जाए.
अमेरिका ने किया था वियतनाम पर इकलॉजिकल अटैक
सबसे पहले इकोसाइड टर्म अमेरिका-वियतनाम युद्ध के दौरान इस्तेमाल हुआ. तब अमेरिका ने वियतनाम की नदियों और जमीन को प्रदूषित करने के लिए वहां एक खास किस्म का जहरीला खरपतवारनाशक फैला दिया. खुफिया भाषा में इसे एजेंट ऑरेंज कहा जा रहा था. काफी बाद में पता लगा कि अमेरिका ने दुश्मन देश को हराने के लिए उसकी मिट्टी-पानी को जहर बना दिया था.

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