अडानी जैसी मुश्किल में फंसे थे DLF के चेयरमैन, बताया कैसे 'ब्लैकमेलर' को सिखाया था सबक
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हिंडनबर्ग की रिपोर्ट ने अडानी ग्रुप के शेयरों को झकझोर दिया है. विपक्ष ने नरेंद्र मोदी की सरकार पर अडानी समूह को मदद करने का आरोप लगाया है. इस बीच DLF के चेयरमैन ने अपने पुराने दिनों को याद किया, जब उन्हें एक विदेशी फर्म से धमकी मिली थी.
अडानी ग्रुप (Adani Group) बेहद ही मुश्किल दौर से गुजर रहा है. हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद से अडानी ग्रुप के शेयरों में भूचाल आ गया. अडानी एंटरप्राइजेज के FPO के लॉन्च होने से ठीक पहले हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आई और फिर कंपनियों के शेयरों में गिरावट का सिलसिला शुरू हो गया. अडानी ग्रुप को लेकर आई हिंडनबर्ग की रिपोर्ट इन दिनों जमकर सुर्खियों में है. इस बीच DLF के चेयरमैन केपी सिंह ने 15 साल पुरानी एक घटना को याद किया है. उन्होंने कहा कि आडानी ग्रुप को जो हिंडनबर्ग की रिपोर्ट की वजह से सामना करना पड़ रहा है. 15 साल पहले DLF को भी आईपीओ से पहले ऐसी स्थिति का सामना करना पड़ा था.
निवेशकों का भरोसा बरकरार
केपी सिंह ने कहा कि अमेरिकी शॉर्ट सेलर के आरोपों के बाद गौतम अडानी के बिजनेस साम्राज्य में उथल-पुथल मची हुई है. लेकिन इस घटना की वजह से भारत के प्रति वैश्विक निवेशकों का भरोसा नहीं डिगा है. उन्होंने इस बात को भी खारिज कर दिया कि 'ऊपर' के आदेश के बाद अडानी समूह को बैंकों ने कर्ज दिया. हालांकि, उन्होंने कहा कि ग्रोथ के रास्ते पर बने रहने के लिए अडानी ग्रुप को पूंजी बढ़ाने और कर्ज को कम करने पर काम करने की जरूरत है.
मिली थी रिपोर्ट लाने की धमकी
केपी सिंह ने पीटीआई से बातचीत में कहा था कि डेढ़ दशक पहले जब DLF अपना आईपीओ ला रही थी तो एक कनाडाई कंपनी ने रिपोर्ट लाने की धमकी दी थी. इसपर हमने कनाडाई फर्म से साफ कह दिया था कि आप जो भी कर सकते हैं करें. हिंडनबर्ग की रिपोर्ट से क्या भारत में विदेशी निवेश को झटका लगेगा? इसपर केपी सिंह ने कहा कि ये पूरी तरह बकवास है. आज भारत बहुत बड़ा देश है. ये कहानी खत्म हो जाएगी. निवेश को किसी भी तरह का नुकसान नहीं होगा.
प्रधानमंत्री का इससे कोई लेना-देना नहीं
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