क्राउडफंडिंग के जरिए इलाज के लिए बच्चे का फोटो दिखाना भीख मांगने के बराबर? बॉम्बे HC करेगा फैसला
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मुंबई पुलिस ने दिल्ली की एक कंपनी को क्राउडफंडिंग को लेकर एक नोटिस भेजा था, जिसमें कहा गया था कि इलाज के लिए बच्चों का फोटो दिखाकर क्राउडफंडिंग करना भीख मांगने के बराबर है तो क्या न इसके खिलाफ कार्रवाई की जाए. इसको लेकर कंपनी ने बॉम्बे हाई कोर्ट में याचिका दायर की है.
महाराष्ट्र के विशेष पुलिस महानिरीक्षक ने क्राउडफंडिंग के मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट को बताया कि दिल्ली की इम्पैक्ट गुरु टेक्नोलॉजी वेंचर्स प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ कोई कदम नहीं उठाया गया है. पुलिस ने इस कंपनी को कारण बताओ नोटिस जारी किया था. कंपनी के वकील नितिन प्रधान और शुभदा खोत ने जस्टिस पीबी वराले और एनआर बोरकर की पीठ को बताया कि कंपनी का उद्देश्य रोगियों को कैंसर जैसे इलाज के लिए फंड उपलब्ध कराना है.
महाराष्ट्र पुलिस ने कंपनी को नोटिस जारी किया था, जिसमें कहा गया था कि कंपनी द्वारा यू-ट्यूब, फेसबुक समेत कई प्लेटफॉर्म पर दिखाए गए विज्ञापन बच्चे को गलत परिप्रेक्ष्य में प्रदर्शित कर रहे हैं. नोटिस में कहा गया था कि विज्ञापन के जरिए एकत्रित किया गया धन भीख की श्रेणी में आता है, जैसा कि किशोर अधिनियम की धारा 2 (8) के तहत परिभाषित किया गया है और इस प्रकार कंपनी जेजे अधिनियम के साथ असंगत गतिविधियों में लिप्त है. इसलिए क्यों न जेजे एक्ट की धारा 76 के तहत अपराध दर्ज किया जाए.
कंपनी के वकील नितिन प्रधान ने कहा कि नोटिस के जवाब में कंपनी के प्रतिनिधि तुरंत संबंधित पुलिस अधिकारी के कार्यालय में पहुंचे और 21 सितंबर, 2022 को आवश्यक दस्तावेजों के साथ विस्तृत जवाब दिया. कंपनी के प्रतिनिधियों को डर था कि पुलिस उनके खिलाफ FIR दर्ज करने सहित उनके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई शुरू कर सकती है और इसलिए उन्होंने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और कंपनी के बचाव में एक अंतरिम आदेश की अपील की.
प्रधान ने नोटिस का विरोध करते हुए कहा कि दुर्लभ बीमारियों के लिए राष्ट्रीय नीति 2021 के तहत कंपनी की गतिविधि की अनुमति है और क्राउड फंडिंग के लिए सरकारी पोर्टल हैं और इसलिए, नोटिस गलत है.
कोर्ट ने दुर्लभ बीमारियों के लिए राष्ट्रीय नीति 2021 को देखते हुए कहा कि नीति निश्चित रूप से प्रशंसनीय है और वित्तीय बाधाओं जैसी वास्तविकताओं को भी ध्यान में रखती है. अदालत ने यह भी देखा कि कंपनी का प्राथमिक उद्देश्य प्रौद्योगिकी मंच का प्रबंधन करना है जो रोगियों के इलाज में दान लेने में सक्षम बनाता है. हालांकि याचिका में इस बात का कोई दावा नहीं है कि कंपनी रोगियों को मिले दान में कितनी राशि रखती है.
कोर्ट की बेंच ने कहा कि नीति पढ़ने के बाद और विशेष रूप से इलाज के लिए स्वैच्छिक क्राउड फंडिंग के तहत, हम निजी संगठन या कंपनी को बच्चे की ऐसी जानकारी और तस्वीर प्रदर्शित करने की अनुमति देने वाली कोई सामग्री नहीं ढूंढ पा रहे हैं, जिसे वे सार्वजिनक रूप से प्रदर्शित कर रहे हैं.
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