बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (बीएलए) ने पाकिस्तानी सेना पर हमला कर 5 जवानों को मार दिया, जिसमें एक मेजर भी शामिल है. बीएलए ने हमले का वीडियो जारी किया है. चीन ने पाकिस्तान से अपने नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने को कहा है. बलूचिस्तान में चीन की कई कंपनियां काम कर रही हैं और चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा भी यहीं से गुजरता है.
अमेरिका यूं ही सुपर पावर नहीं, बल्कि इसमें काफी हाथ उसके खुफिया तौर-तरीकों का भी है, फिर चाहे वो 9/11 के बाद सैन्य अटैक हों, या एरिया 51 की गोपनीयता, जहां कथित तौर पर एलियन्स पर खोज काफी आगे जा चुकी. कोई भी योजना बनाते हुए ये देश बेहद सतर्कता बरतता रहा. इसी सीक्रेसी में हाल में सेंध लगती दिखी, जब अमेरिकी सैन्य अधिकारी खुफिया मुहिम की चर्चा सिग्नल पर करने लगे, जो वॉट्सएप की तरह ही एन्क्रिप्टेड मैसेजिंग सर्विस है.
जय स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में हेल्थ पॉलिसी के प्रोफेसर हैं, नेशनल ब्यूरो ऑफ इकनॉमिक्स रिसर्च में एक रिसर्चर एसोसिएट हैं और स्टैनफोर्ड इंस्टीट्यूट फॉर इकनॉमिक पॉलिसी रिसर्च, स्टैनफोर्ड फ्रीमैन स्पोगली इंस्टीट्यूट और हूवर इंस्टीट्यूशन में एक वरिष्ठ फेलो हैं. वह स्टैनफोर्ड के सेंटर फॉर डेमोग्राफी एंड इकोनॉमिक्स ऑफ हेल्थ एंड एजिंग को निर्देशित करते हैं.
डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया पर ब्रिटेन के किंग चार्ल्स की ऐसे वक्त पर तारीफ की, जब वो यूरोप और खासकर नाटो से दूरी बना रहा है. ये कयास भी लग रहे हैं कि अमेरिका 18वीं सदी के बाद पहली बार कॉमनवेल्थ देशों में शामिल हो सकता है. ये एक डिप्लोमेटिक रणनीति भी हो सकती है ताकि यूरोप में अमेरिका के लिए आए तनाव के तार कुछ ढीले पड़ें.
महरंग, सम्मी और सीमा बलोचिस्तान की इन बेटियों ने इंतजार की इंतहा के बाद इकंलाब का रास्ता चुना है. सीधे सवाल करने का रास्ता अख्तियार किया है. लेकिन ये प्रतिरोध हिंसक नहीं बल्कि गांधी की सदाकत से ताकत पाता है. इन लोगों ने अपने निजी दुखों को एक सामूहिक संघर्ष में बदला, और पाकिस्तानी सेना और सरकार के उस सिस्टम को हिला दिया, जो दशकों से बलोचिस्तान की आवाज को कुचलता आया है. ये नाम आज बलोचिस्तान में प्रतिरोध के प्रतीक बन चुके हैं.
पाकिस्तान में वर्तमान में सरकार का कड़ा रुख बलूच नेताओं की गिरफ्तारी और अफगान छात्रों की जानकारी इकट्ठा करने पर केंद्रित है. अफगान नागरिकों की वापसी के लिए मार्च 31 की समय सीमा तय की गई है. इस प्रक्रिया में मानवीय सहायता प्रदान की जाएगी, लेकिन समय सीमा के बाद रुकने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी गई है.
अमेरिका में कई ऐसे शहर हैं, जो अवैध प्रवासियों के लिए सैंक्चुरी का काम करते रहे, यानी वहां रहते घुसपैठियों पर इमिग्रेशन और कस्टम्स एन्फोर्समेंट (ICE) आसानी से हाथ नहीं डाल सकता. डोनाल्ड ट्रंप अब राष्ट्रपति हैं, और सैंक्चुरी सिटीज से इसी बात को लेकर उनकी ठन सकती है. ऐसा पहले कार्यकाल में भी हो चुका. लेकिन क्यों कुछ शहर घुसपैठियों को लेकर इतने संवेदनशील हैं?
कोलंबिया यूनिवर्सिटी की 21 वर्षीय कोरियाई-अमेरिकी छात्रा यूंसेओ चुंग ने ट्रंप प्रशासन के खिलाफ मुकदमा दायर किया है, जिसमें उन्हें निर्वासित किए जाने से रोकने की मांग की गई है. चुंग ने फिलिस्तीन समर्थक प्रदर्शनों में भाग लिया था. उनका आरोप है कि उनके अमेरिका में रहने से ट्रंप प्रशासन की विदेशी नीति प्रभावित हो रही है.