Sudan Civil War: सूडान में प्रतिद्वंद्वी जनरलों की लड़ाई जारी, एयर स्ट्राइक में 22 लोगों की मौत
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सूडान में देश को नियंत्रित करने की मांग कर रहे दो प्रतिद्वंद्वी जनरलों के बीच लड़ाई जारी है. न्यूज एजेंसी AP की रिपोर्ट में बताया कि स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि इस संघर्ष के दौरान शनिवार को एक हवाई हमले में 22 लोगों की मौत हो गई.
अफ्रीकी देश सूडान में देश को नियंत्रित करने की मांग कर रहे दो प्रतिद्वंद्वी जनरलों के बीच जारी लड़ाई से हालात और बिगड़ते जा रहे हैं. न्यूज एजेंसी AP ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि इस संघर्ष के दौरान शनिवार को एक हवाई हमले में 22 लोगों की मौत हो गई.
स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, यह हमला राजधानी खार्तूम के पड़ोसी शहर ओमडुरमन के एक आवासीय क्षेत्र में हुआ. हमले में कई लोगों की बुरी तरह जख्मी होने की भी जानकारी है. दक्षिणी खार्तूम में योरमौक के निकटवर्ती इलाके को निशाना बनाया गया. यह इलाका हाल के महीनों में संघर्ष का केंद्र रहा है, इस इलाके में सेना द्वारा नियंत्रित एक सैन्य अड्डा है.
सूडान 15 अप्रैल में सेना और पैरामिलिट्री फोर्स में जंग शुरू हुई थी. ये संघर्ष सेना के कमांडर जनरल अब्देल-फतह बुरहान और आरएसएफ के प्रमुख जनरल मोहम्मद हमदान डगलो के बीच हो रहा है. जनरल बुरहान और जनरल डगलो, दोनों पहले साथ ही थे. इस जंग में अब तक कम से कम 958 लोग मारे जा चुके हैं. इस जंग से हालात इस कदर बिगड़ गए हैं कि पड़ोसी मुल्कों ने अपनी सीमाएं बंद कर दीं हैं. भारत समेत दुनियाभर के देश वहां फंसे अपने नागरिकों को निकाल लिया है.
प्रत्यक्षदर्शियों, चिकित्सकों और सहायता कर्मियों ने पिछले महीने मीडिया को बताया था कि पश्चिमी दारफुर की राजधानी एल-जेनिना में सैकड़ों शव सड़ रहे थे, जिनमें से ज्यादातर नागरिक थे. इस संघर्ष के कारण 2.9 मिलियन से ज्यादा लोग विस्थापित हो गए हैं, जिनमें लगभग 700,000 लोगों ने तो देश छोड़ दिया है. महिलाओं और बच्चियों से रेप, यौन उत्पीड़न और अपहरण की घटनाएं तेजी से बढ़ गई हैं. सेव द चिल्ड्रन ने शुक्रवार को बताया था कि संघर्ष शुरू होने के बाद से बलात्कार के कम से कम 88 मामले सामने आ चुके हैं.
अप्रैल 2019 में सूडान के तत्कालीन राष्ट्रपति उमर अल-बशीर के खिलाफ जनता ने विद्रोह कर दिया था. बाद में सेना ने अल-बशीर की सत्ता को उखाड़ फेंक दिया था. बशीर को सत्ता से बेदखल करने के बावजूद विद्रोह थमा नहीं. बाद में सेना और प्रदर्शनकारियों के बीच एक समझौता हुआ. समझौते के तहत एक सोवरेनिटी काउंसिल बनी और तय हुआ कि 2023 के आखिर तक चुनाव करवाए जाएंगे. उसी साल अबदल्ला हमडोक को प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया, लेकिन इससे भी बात नहीं बनी. अक्टूबर 2021 में सेना ने तख्तापलट कर दिया. जनरल बुरहान काउंसिल के अध्यक्ष तो जनरल डगालो उपाध्यक्ष बन गए.
- जनरल बुरहान और जनरल डगालो कभी साथ ही थे, लेकिन अब दोनों एक-दूसरे के खिलाफ हो गए हैं. इसकी वजह दोनों के बीच मनमुटाव होना है. न्यूज एजेंसी के मुताबिक, दोनों के बीच सूडान में चुनाव कराने को लेकर एकराय नहीं बन सकी. इसके अलावा ये भी कहा जा रहा है कि सेना ने प्रस्ताव रखा था जिसके तहत आरएसएफ के 10 हजार जवानों को सेना में ही शामिल करने की बात थी, लेकिन फिर सवाल उठा कि सेना में पैरामिलिट्री फोर्स को मिलाने के बाद जो नई फोर्स बनेगी, उसका प्रमुख कौन बनेगा. बताया जा रहा है कि बीते कुछ हफ्तों से देशभर के अलग-अलग हिस्सों में पैरामिलिट्री फोर्स की तैनाती बढ़ गई थी, जिसे सेना ने उकसावे और खतरे के तौर पर देखा.
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