Russia-Ukraine War पर पुतिन-बाइडेन आमने-सामने, 66 दिनों में कितनी बदली जंग की तस्वीर?
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यूएन महासचिव की तमाम कोशिशों के बावजूद यूक्रेन के शहर-शहर में बमबारी जारी है. 66 दिनों में कुछ नहीं बदला. ना पुतिन का रुख नरम हुआ, ना यूक्रेन ने हथियार डाले. इमारतें जमींदोज हो रही हैं, लोग बेघर हो रहे हैं और सैनिक अपनी जान गंवा रहे हैं. एक तरफ पुतिन की सेना यूक्रेन में हाहाकार मचाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है तो दूसरी तरफ अमेरिका ने यूक्रेन को 33 अरब डॉलर की मदद देने के लिए अपना खजाना खोल दिया है. रूस की चेतावनी के बावजूद बाइडेन ने साफ कह दिया है कि सैन्य, आर्थिक और सामाजिक तौर पर वो यूक्रेन का पूरा साथ देंगे. इस बीच मारियूपोल पोर्ट पर कब्जा गंवाने से यूक्रेन की मुश्किलें बढ़ गई हैं क्योंकि यही पोर्ट उसके व्यापार का सबसे मजबूत आधार है.
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हिंसक प्रदर्शनों के बीच अगस्त में शेख हसीना की सरकार गिर गई, और उन्होंने भारत में शरण ली. फिलहाल बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस सरकार है, जो देश पर हसीना को लौटाने का दबाव बना रही है. हाल में एक बार फिर वहां के विदेश मंत्रालय ने राजनयिक नोट भेजते हुए पूर्व पीएम की वापसी की मांग की. भारत के पास अब क्या विकल्प हैं?