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Positive Signal for Economy: बीत गया इकोनॉमी का बुरा दौर? आज देश को मिल सकती है खुशखबरी, अगर ऐसा हुआ तो...
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GDP Forecast: जर्मन ब्रोकरेज फर्म डॉयचे बैंक (Deutsche Bank) के मुताबिक 2024-25 की तीसरी तिमाही यानी अक्टूबर-दिसंबर की विकास दर के 28 फरवरी को जारी होने वाले आंकड़ों में तेजी नजर आएगी और ये बढ़कर 6.2% तक पहुंच सकती है.
भारत की अर्थव्यवस्था में अब सबसे बुरा दौर खत्म होता नजर आ रहा है. सितंबर तिमाही में जीडीपी ग्रोथ सात तिमाहियों के सबसे निचले स्तर 5.4% पर पहुंच गई थी, जिसने सरकार, नीति निर्माताओं, निवेशकों समेत आम लोगों की चिंता बढ़ा दी थी. लेकिन अब दिसंबर तिमाही में विकास दर फिर से लय पकड़ने के लिए तैयार नजर आ रही है. जर्मन ब्रोकरेज फर्म डॉयचे बैंक (Deutsche Bank) के मुताबिक 2024-25 की तीसरी तिमाही यानी अक्टूबर-दिसंबर की विकास दर के 28 फरवरी को जारी होने वाले आंकड़ों में तेजी नजर आएगी और ये बढ़कर 6.2% तक पहुंच सकती है. इस ग्रोथ को बढ़ाने में ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सुधार के साथ ही तीसरी तिमाही में निवेश गतिविधियों में आई तेजी का बड़ा रोल रहेगा जिसमें सरकारी खर्च में आई तेजी शामिल है. हालांकि सुधार के बावजूद भारत की ग्रोथ रफ्तार 7% के स्तर से कम रहेगी. अप्रैल में फिर घटेगी EMI!
इसके साथ ही डॉयचे बैंक (Deutsche Bank) ने RBI की तरफ से अप्रैल में ब्याज दरों में 0.25% की कटौती का अनुमान जताया है, जिससे ग्रोथ को ज्यादा सपोर्ट मिल सके. 7 फरवरी को पेश हुई पिछली मॉनेटरी पॉलिसी रिव्यू में सभी सदस्यों ने माना था कि ब्याज दरें अभी ऊंचे स्तर पर हैं. डोएशे बैंक के मुताबिक अप्रैल के बाद आरबीआई लिक्विडिटी पर ज्यादा ध्यान देगा जिससे फरवरी और अप्रैल में मिलाकर की जाने वाली 0.50% की संभावित रेपो रेट कट का असर आम लोगों तक पहुंच सकेगा. हाल ही में 10 बिलियन डॉलर के स्वैप का ऐलान भी सकारात्मक कदम माना जा रहा है.
SBI को ग्रोथ में तेजी का अनुमान इसके पहले आई स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की रिसर्च के मुताबिक, 2024-25 में जीडीपी ग्रोथ 6.3% रहने का अनुमान लगाया गया था. इसमें 36 हाई-फ्रीक्वेंसी इंडिकेटर्स के आधार पर तीसरी तिमाही में ग्रोथ 6.2% से 6.3% के बीच रहने का अनुमान जताया गया है. नेशनल स्टैटिस्टिक्स ऑफिस ने 2024-25 के लिए रियल जीडीपी ग्रोथ 6.4% और नॉमिनल ग्रोथ 9.7% रहने की बात कही है. ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सुधार से बाकी सेक्टर्स को भी मजबूती मिल रही है वहीं महंगाई में कमी से लोगों का खर्च बढ़ रहा है, जिससे डिमांड में तेजी आ रही है. तीसरी तिमाही में पूंजीगत खर्च में भी सुधार देखा गया है. लेकिन वैश्विक तनाव और सप्लाई चेन की दिक्कतों ने भारत समेत कई देशों को प्रभावित किया है. इसके बावजूद G-20 देशों में भारत सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बना हुआ है. IMF ने मौजूदा और अगले फाइनेंशियल ईयर के लिए 6.5% ग्रोथ का अनुमान लगाया है, जो मजबूत घरेलू डिमांड और सरकारी नीतियों का नतीजा है.
ICRA ने लगाया तेजी का अनुमान रेटिंग एजेंसी ICRA के मुताबिक, अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में जीडीपी 6.4% रह सकती है. इसकी वजह सरकारी खर्च में बढ़ोतरी और खपत में सुधार है. अप्रैल-जून में अर्थव्यवस्था 6.7% की रफ्तार से बढ़ी थी, लेकिन जुलाई-सितंबर तिमाही में चुनाव के असर और कमजोर डिमांड की वजह से ये 5.4% पर आ गई थी. ICRA का कहना है कि तीसरी तिमाही में केंद्र और राज्य सरकारों का खर्च बढ़ा है. सर्विसेज और माल के निर्यात में तेजी आई है और खरीफ फसलों का अच्छा उत्पादन हुआ है, जिससे ग्रामीण माहौल बेहतर हुआ है. इसके अलावा फेस्टिव सीजन में शहरी इलाकों में थोड़ी कमजोरी के बावजूद कुछ सेक्टर्स में डिमांड बढ़ी है. खनन और बिजली जैसे सेक्टर में मौसम की चुनौतियों के बाद सुधार देखा गया. कुल मिलाकर, तीसरी तिमाही में ग्रोथ सितंबर के मुकाबले बेहतर होगी. लेकिन पहली तिमाही के मुकाबले कम रह सकती है.
28 फरवरी को आएंगे ग्रोथ के आंकड़े नेशनल स्टैटिस्टिक्स ऑफिस (NSO) 28 फरवरी को दिसंबर तिमाही के आंकड़े जारी करेगा. जनवरी में NSO के पहले अनुमान में 2024-25 के लिए 6.4% ग्रोथ का अनुमान लगाया गया था जो चार साल का सबसे निचला स्तर है. आरबीआई ने 6.6% ग्रोथ की उम्मीद जताई है. इस बीच निवेश गतिविधियों में तेजी आई है और सीमेंट प्रोडक्शन, इंजीनियरिंग गुड्स का निर्यात और सरकारी खर्च बढ़ा है. पिछली छह तिमाहियों में सबसे ज्यादा 47.7% की बढ़ोतरी सरकारी पूंजीगत खर्च में देखी गई. ऐसे में माना जा रहा है कि अगर ये रफ्तार बनी रही, तो अर्थव्यवस्था और मजबूत होगी.
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Petrol-Diesel Prices Today: इंटरनेशनल मार्केट में आज कच्चा तेल 75 डॉलर के पार हो गया है. ब्रेंट क्रूड आज 75.11 डॉलर प्रति बैरल है, जबकि WTI क्रूड 71.09 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा है. वहीं, भारत की बात करें तो सरकारी तेल कंपनियों ने आज (मंगलवार), 25 फरवरी, 2025 को भी सभी महानगरों में पेट्रोल और डीजल की कीमतें स्थिर ही रखी हैं.