Nagasaki day: एक हनीमून ने बचा ली क्योटो की कुर्बानी... और नागासाकी के नसीब लिख दिया गया एटम बम
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Nagasaki bombing: पेंटागन में अमेरिकी जनरलों ने तबाही की मुहर तो क्योटो के नाम पर लगाई थी, नागासाकी तो अमेरिकी हिट लिस्ट में सबसे नीचे था. लेकिन कुछ हालात और कुछ भाग्य ने ऐसा पलटा खाया कि दो शहरों का मुकद्दर बदल गया. 9 अगस्त 1945 की ये कहानी मुकम्मल होती इससे पहले इसमें कई टर्न और ट्विस्ट आए.
सोचिए कितना क्रूर है उस नगर का भाग्य जो पहले तो टारगेट की उस लिस्ट में ही नहीं था जिस पर एटम बम गिराया जाना था. अमेरिकी जनरलों, परमाणु वैज्ञानिकों, सेक्रेटरी ऑफ वार और प्रेसिडेंट हेनरी ट्रूमैन के बीच काफी जिरह के बाद जब इस शहर को टारगेट लिस्ट में शामिल किया भी गया तो ये शहर 10-15 शहरों की लिस्ट (Last in the list) में सबसे नीचे था. यानी कि यहां न्यूक्लियर अटैक की आशंका सबसे कम थी. लेकिन...
लेकिन इतिहास में कुछ फैसले सिर्फ और सिर्फ नियति करती है. नागासाकी के लिए नियति ने विध्वंस ही तय कर रखा था. दो पहाड़ों के बीच बसे इस शहर को भाग्य बार-बार गच्चा दे रहा था. आज से 77 साल पहले 9 अगस्त 1945 के दिन भी नियति ने अंतिम बार नागासाकी से मुंह फेर लिया.
6 अगस्त को हिरोशिमा को बर्बाद करने के बाद 9 अगस्त को अमेरिकी वायुसेना के B-29 बमवर्षक विमान जापान के कोकुरा शहर पर दूसरा परमाणु हमला करने जा रहे थे. परन्तु उस दिन बादलों ने इस शहर के आकाश पर डेरा डाल रखा था. इसके अलावा अमेरिकी एयरफोर्स के हमले से निकले धुएं ने भी आसमान काला कर रखा था. बादल और धुएं के धुंध में अमेरिकी युद्धक विमान कोकुरा शहर पर मंडरा रहे थे. लेकिन इन विमानों को टारगेट नजर नहीं आया. नतीजतन उन्हें अपना प्राइमरी टारगेट एबोर्ट कर सेकेंडरी टारगेट नागासाकी की ओर कूच करना पड़ा. फिर जब 9 अगस्त 1945 को नागासाकी की घड़ियों ने सुबह के 11 बजकर 2 मिनट बजाए तो B-29 फाइटर प्लेन BOCKSCAR ने नागासाकी पर अंडाकार परमाणु बम 'फैटमैन' लॉन्च कर दिया.
दो शहर...दो नियति
नियति का फेर जापान के एक और शहर के साथ हुआ. जो कि उस लिस्ट में था जिसे द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अमेरिकी अपनी परमाणिक शक्ति से तबाह कर देना चाहते थे. नाम है क्योटो. परंतु फिर कुछ ऐसा हुआ कि क्योटो की किस्मत बदल गई. कहते हैं कि 1920 के दशक में अमेरिका के सेक्रेटरी ऑफ वार (युद्ध मंत्री) Henry L. Stimson ने क्योटो की वादियों में ही अपना हनीमून गुजारा था. यहां की यादें उनके दिल में इस कदर जज्ब थीं कि वे इस मनोरम शहर की तबाही की कल्पना नहीं कर पा रहे थे. जब एटमी हमले की फाइनल लिस्ट बनी तो स्टिमसन राष्ट्रपति ट्रूमैन के सामने अड़ गए.
बता दें कि क्योटो वही शहर है जहां हाल ही में एक सिरफिरे ने पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे को गोली मार दी. वही क्योटो जहां से वाराणसी ने सांस्कृतिक साम्यता तलाशी है. सांस्कृतिक धनाढ्यता और ऐतिहासिक विरासत के चलते दोनों शहर हर साल दुनिया भर से लाखों पर्यटकों को लुभाते हैं. तो नागासाकी पर नहीं बल्कि इसी क्योटो शहर पर अमेरिका दुनिया में परमाणु अस्त्रों का पहला प्रयोग करने वाला था. वो पैशाचिक प्रयोग (गांधी के शब्दों में) जो आने वाले वर्षों में सभ्यता की कहानी ही बदल देने वाला था.
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