MP: यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे पर SC का सुनवाई से इनकार; हाईकोर्ट ने सरकार को दिया 6 हफ्ते का वक्त
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12 सीलबंद कंटेनरों में पैक जहरीले कचरे को 2 जनवरी को भोपाल की यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री से 250 किलोमीटर दूर धार जिले के पीथमपुर में निपटान स्थल पर ले जाया गया था. इसको लेकर पीथमपुर में विरोध हो रहा है.
मध्यप्रदेश के पीथमपुर में यूनियन कार्बाइड का कचरा जलाने पर रोक लगाने की मांग के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इनकार कर दिया. हालांकि, कोर्ट ने यह भी सुझाव दिया कि आप चाहें तो मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के द्वारा इस मामले में दिए गए आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर सकते हैं. दरअसल, मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने 3 दिसंबर को आदेश दिया था कि भोपाल से डिस्पोजल साइट (पीथमपुर) पर कचरे को चार हफ्ते में पहुंचाया जाए. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को छूट दी कि वो चाहे तो हाईकोर्ट की सुनवाई में अपनी बात रख सकते हैं.
सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल कर कचरे को भोपाल से धार जिले के पीथमपुर ले जाने और वहां इसे जलाने पर रोक लगाने की मांग की गई है.
याचिका में कहा गया है कि यूनियन कार्बाइड के कचरे को भोपाल से ले जाने का फैसला लेते समय पीथमपुर के लोगों से सलाह नहीं ली गई. साथ ही पीथमपुरा में रेडियेशन का खतरा हो सकता है. अगर वहां एसा होता है तो पीथमपुरा में उचित मेडिकल सुविधाएं मौजूद नहीं हैं.
जहरीले कचरे को लेकर हाईकोर्ट ने दिया छह हफ्ते का समय
इधर, मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को यूनियन कार्बाइड कारखाने के कचरे के निपटान पर सुरक्षा दिशा-निर्देशों के अनुसार कार्रवाई करने के लिए 6 सप्ताह का समय दिया है. 12 सीलबंद कंटेनरों में पैक अपशिष्ट को 2 जनवरी को राज्य की राजधानी भोपाल में अब बंद हो चुकी यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री से 250 किलोमीटर दूर धार जिले के पीथमपुर में निपटान स्थल पर ले जाया गया था.
एमपी हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस एसके कैत और जस्टिस विवेक जैन की डिवीजन बेंच ने राज्य सरकार को कचरे को नष्ट करने से पहले पीथमपुर की जनता को विश्वास में लेने और उनके मन से भय दूर करने के अनुरोध के बाद समय दिया.
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