Maharashtra Political Crisis: महाराष्ट्र में किसकी सरकार से अब जंग पहुंच गई 'बाला साहेब' किसके!
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Maharashtra Political Crisis: महाराष्ट्र में शिवसेना अब तक के सबसे बड़े सियासी संकट का सामना कर रही है. 38 विधायकों ने बगावत कर दी है और अब उद्धव के साथ 16 या 17 विधायक ही हैं. यानी आधे से ज्यादा विधायकों ने विद्रोह कर दिया है.
महाराष्ट्र में जारी सियासी घमासान (Maharashtra Political Crisis) के बीच शिवसेना (Shiv Sena) की पूरी कवायद अब अस्तित्व को बचाने के लिए शुरू हो गई है. शिवसेना की ओर से पार्टी के संस्थापक बाला साहेब ठाकरे के नाम के दुरुपयोग को लेकर चुनाव आयोग को एक पत्र लिखा गया है. दरअसल खबर आई थी कि गुवाहाटी में डेरा डाले शिवसेना के 38 बागी विधायक एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) की अगुवाई में नई पार्टी बनाने का ऐलान कर सकते हैं जिसका नाम शिवसेना (बाला साहेब) हो सकता है. खास बात ये है कि बागी गुट के साथ 10 निर्दलीय विधायकों का भी समर्थन है.
स्थापना के 56 साल बाद शिवसेना इस समय सबसे बड़े संकट से जूझ रही है. ऐसा किसी पार्टी में कम ही देखने को मिलता है कि एक ओर पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक चल रही हो और दूसरी ओर बागी गुट के विधायकों की मीटिंग. शनिवार को मुंबई में जब उद्धव ठाकरे अपनी पार्टी की कार्यकारिणी में ललकार रहे थे तो दूसरी ओर गुवाहाटी में 'नई शिवसेना' बनाने की रणनीति तैयार हो रही थी.
मुंबई के शिवसेना भवन में जारी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में फैसला लिया गया है कि बाला साहेब के नाम का दुरुपयोग न हो, इसके लिए शिवसेना चुनाव आयोग का रूख करेगी. इससे पहले कार्यकारिणी की बैठक में उद्धव ठाकरे ने कहा कि शिंदे पहले नाथ थे लेकिन अब वे दास हो गए हैं. उन्होंने कहा कि अगर शिंदे में हिम्मत है तो वे अपने पिता के नाम पर वोट मांगकर दिखाएं. इस बैठक में तीन प्रस्तावों पर भी चर्चा हुई जिसमें उद्धव ठाकरे पर भरोसा, बागियों पर एक्शन पर उद्धव लेंगे फैसला, और मराठी अस्मिता-हिंदुत्व पर कायम रहने जैसी बातें शामिल हैं.
लेकिन शिवसेना के सामने यही एक मुश्किल नहीं है. महाराष्ट्र विकास अघाड़ी यानी MVA में सहयोगी दल एनसीपी ने ही तीखे सवाल दाग दिए हैं. शिवसेना के साथ हुई बैठक में एनसीपी की ओरे से पूछा गया कि इतनी बड़ी बगावत हो गई और शीर्ष नेतृत्व इस बात से अनजान कैसे रहा? इतना ही नहीं एनसीपी ने कहा कि यह अजीब लगता है कि जो नेता 'वर्षा' (सीएम हाउस) में बैठक में शामिल हुए थे, वे बाद में बागी हुए और गुवाहाटी चले गए. जमीनी स्तर काम करने वाले कार्यकर्ताओं की तरफ से प्रतिक्रिया क्यों नहीं दी जा रही है? इन सवालों पर सीएम उद्धव ठाकरे को सफाई देते हुए कहा कि एकनाथ शिंदे ने दो मुद्दे उठाए जिसमें बीजेपी के साथ जाने पर विचार किया जाए और फंड और अन्य विकास के मुद्दे पर विधायकों की शिकायत रखी. उद्धव ने कहा, 'मैंने उनसे कहा कि बीजेपी के साथ जाना मंजूर नहीं है लेकिन फंड के मुद्दे पर चर्चा करेंगे.
गौरतलब है कि शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे की अगुवाई में इस समय पार्टी के 38 विधायक गुवाहाटी में डेरा डाले हुए हैं. शिंदे ने न सिर्फ सरकार या पार्टी से बल्कि ठाकरे परिवार के खिलाफ भी बगावत का झंडा बुलंद कर दिया है.
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