Maharashtra Political Crisis: कैसी थी बाला साहेब ठाकरे की शिवसेना जो उद्धव राज में वैसी नहीं रही?
AajTak
बाला साहेब कहते थे कि उन्हें सहिष्णु हिंदू नहीं चाहिए क्योंकि सहिष्णुता महंगी पड़ी है. वो मिलिटेंट हिंदू की बात करते थे. वो बांग्लादेशी मुसलमानों को बॉर्डर तक छोड़कर आने की बात करते थे. वो कहते थे कि जैसे हिंदुओं को पाकिस्तान, बांग्लादेश या अरब मुल्कों में हक नहीं मिलता है, वैसा ही भारत में भी मुसलमानों को नहीं मिलना चाहिए.
राजनीतिक शब्दकोश का सबसे मशहूर मुहावरा ये है कि यहां न कोई स्थायी दुश्मन होता है, न कोई स्थायी दोस्त...हकीकत में ऐसा नजर भी आता है. कौन नेता और दल कब किस खेमे के साथ चला जाए, कोई अनुमान नहीं लगा पाता. अगर सियासत इतनी अनप्रेडिक्टिबल है तो फिर इसका तरीका हमेशा एक जैसा ही क्यों रहे?
ये सवाल इसलिए क्योंकि महाराष्ट्र में चल रहे मौजूदा सियासी संकट का असल केंद्र यही है. मंत्री एकनाथ शिंदे ने विधायकों की भारी-भरकम फौज के साथ शिवसेना से बगावत का बिगुल फूंक दिया है. शिंदे ने अपने दांव से उद्धव ठाकरे का मुख्यमंत्री आवास से बोरिया-बिस्तर बंधवा दिया है. शिंदे और उनके समर्थकों का कहना है कि वो बाला साहेब ठाकरे के अनुयायी शिवसैनिक हैं और अब जो शिवसेना है वो वैसी नहीं रही.
कैसी थी पुरानी शिवसेना?
तो बाला साहेब ठाकरे वाली शिवसेना कैसी थी? उस शिवसेना में ऐसा क्या था जो अब उद्धव राज में नहीं है. जबकि उद्धव तो कह रहे हैं कि वर्तमान शिवसेना भी बाला साहेब वाली ही है और उन्हीं के विचारों से प्रेरित है जो हिंदुत्व पर कोई समझौता नहीं करती.
यही बात बाला साहेब भी कहते थे. हिंदुत्व की उनकी अवधारणा में राष्ट्रीयता थी. उनका कहना था कि देश के आगे कुछ भी स्वीकार नहीं. अपने इस एजेंडे पर चलते हुए बाला साहेब ने वो तमाम काम भी कर दिए जिन्हें विवादित माना गया.
बाला साहेब एक कार्टूनिस्ट थे. फिल्मी दुनिया से उनका कनेक्शन था. लेकिन मराठा अस्मिता की आवाज उठाते हुए उन्होंने रास्ता बदल लिया. 1966 में शिवसेना का गठन किया. राजनीति में उतर आए लेकिन कभी चुनाव नहीं लड़ा. न कभी सरकार में कोई पद लिया. मगर, महाराष्ट्र और खासकर मुंबई को अपने रिमोट से चलाते रहे. 2012 में अपने निधन तक बाल ठाकरे शिवसेना के सर्वेसर्वा रहे.
पाकिस्तान में इमरान खान की अपील पर उनके समर्थक विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं. वे डी-चौक तक मार्च करना चाहते थे, लेकिन उन्हें कंटेनर लगाकर बीच में ही रोक दिया गया है. दरअसल, इस क्षेत्र में संसद, पीएम और राष्ट्रपति का कार्यालय, और सुप्रीम कोर्ट भी है. यहां से एक चौंका देने वाला वीडियो सामने आया है, जहां सेना के जवान ने नमाज पढ़ रहे एक शख्स को कंटेनर से नीचे फेंक दिया.
डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि हम लगेज पॉलिसी लेकर आए हैं, जब भी हम कुछ लागू करते हैं, तो हमें सुझाव मिलते हैं, जनता की मांग थी कि दूध और सब्जी का उत्पादन करने वाले या सप्लाई करने वाले किसानों को हमारी बसों में रियायत दी जाए, हमने उनकी मांग को स्वीकार किया और दूध और सब्जी सप्लायरों के लिए टिकट हटा दिए हैं.
मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने एहतियाती उपायों की समीक्षा के लिए सचिवालय में हाईलेवल बैठक बुलाई. इस दौरान भारी बारिश की संभावना वाले क्षेत्रों में NDRF और SDRF की टीमों को तैनात करने का निर्देश दिया. कुल 17 टीमों को तैनात किया गया है, इसमें चेन्नई, तिरुवरुर, मयिलादुथुराई, नागपट्टिनम और कुड्डालोर और तंजावुर जिले शामिल हैं.
हिंदू संगठन 'बांग्लादेश सम्मिलित सनातनी जागरण जोते' एक बयान में कहा कि वकील सैफुल इस्लाम की हत्या में कोई सनातनी शामिल नहीं है. एक समूह सुनियोजित हत्या को अंजाम देकर सनातनियों पर दोष मढ़ने की कोशिश की जा रही है. हिंदू संगठन ने चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी की तत्काल बिना शर्त रिहाई और चिटगांव हिंसा की न्यायिक जांच की मांग की है.