JNU में लेक्चर के दौरान कोलंबिया यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर से बहस, नाम के सही उच्चारण से जुड़ा है मामला
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युवक ने इस घटना का जिक्र सोशल मीडिया पर किया. इसके बाद वहां बहस छिड़ गई. कुछ लोगों ने गायत्री के व्यवहार की आलोचना करते हुए उन्हें अहंकारी एवं इस घटना को अनावश्यक रूप से अपमानजनक बताया. वहीं कुछ लोगों ने गायत्री के कदम का बचाव भी किया. एक सोशल मीडिया यूजर ने कहा कि गायत्री द्वारा अंशुल के उच्चारण पर जोर देना सही था.
साहित्यिक आलोचक और कोलंबिया यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर गायत्री चक्रवर्ती स्पिवक का जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) में आयोजित लेक्चर एक बड़े विवाद में बदल गया. लेक्चर के बाद, सवाल-जबाव सेशन के दौरान जब एक व्यक्ति ने उनसे सवाल किया तो वो उसका उच्चारण बार-बार सही करने लगीं. इसके बाद विवाद बढ़ गया और संचालक को दखल देना पड़ा.
अब इस घटना का वीडियो भी सामने आया है. सवाल पूछने वाले व्यक्ति ने ही इसे सोशल मीडिया साइट एक्स (X) पर अपलोड किया है.
वीडियों में नजर आ रहा है कि लेक्चर के बाद अंशुल नाम का शख्त एक प्रश्न पूछने का प्रयास कर रहा है. उसी दौरान रंग-भेद के खिलाफ आवाज उठाने वाले जाने-माने कार्यकर्ता वेब डु बोइस ( WEB Du Bois) के नाम के सही उच्चारण को लेकर गायत्री ने उन्हें कई बार रोका. उन्होंने कहा, 'डु बोइस (जिसे डू बॉयज़ बोला जा रहा था). क्या आप कृपया करके उसके नाम का सही उच्चारण करेंगे? यदि आप उस व्यक्ति के बारे में बात करने जा रहे हैं जो शायद पिछली शताब्दी का सर्वश्रेष्ठ ऐतिहासिक समाजशास्त्री रहा हो और खासकर तब जब आप जेएनयू जैसे विश्वविद्यालय में बैठे हों, तो उसके नाम का सही उच्चारण सीखने में परेशानी नहीं होनी चाहिए?' साथ ही गायत्री ने यह भी बताया कि वह एक अंग्रेज थे, फ्रांसीसी नहीं.
इसके जबाव में अंशुल ने कहा, "यदि आप छोटी-मोटी बातें कर चुकी हैं...". जिस पर गायत्री ने उनकी निंदा यह कहते हुए की कि आप एक बुजुर्ग महिला के प्रति असभ्य व्यवहार कर रहे हैं. इसके बाद मॉडरेटर ने हस्तक्षेप किया और अंशुल से अपना प्रश्न छोटा और स्पष्ट रूप से पूछने का आग्रह किया.
अंशुल ने फिर से अपना प्रश्न पूछा और इस बार भी डु बोइस का उच्चारण गलत किया. जिसके बाद स्पिवक ने एक बार उन्हें फिर से ठीक कर दिया. इस पर अंशुल ने भड़क गए और गायत्री ने उनके प्रश्न को नजरअंदाज कर दिया.
बाद में अंशुल कुमार ने इस घटना का जिक्र सोशल मीडिया पर किया. इसके बाद वहां बहस छिड़ गई. कुछ लोगों ने गायत्री के व्यवहार की आलोचना करते हुए उन्हें अहंकारी एवं इस घटना को अनावश्यक रूप से अपमानजनक बताया. वहीं कुछ लोगों ने गायत्री के कदम का बचाव भी किया. एक सोशल मीडिया यूजर ने कहा कि गायत्री द्वारा अंशुल के उच्चारण पर जोर देना सही था.
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