
Indonesia में बार-बार तबाही क्यों मचाता है भूकंप?
AajTak
Indonesia में सोमवार को आए earthquake के बाद मरने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है. अब तक यह आंकड़ा 270 के करीब पहुंच चुका, जबकि सैकड़ों लोग लापता हैं. दुनिया के सबसे ज्यादा द्वीपों वाले इस देश में भूकंप या tsunami जैसी कुदरती मुसीबतें लगातार आती रहती हैं.
याद है, साल 2004 की सुनामी, जिसने इंडोनेशिया और भारत समेत लगभग 14 देशों को हिलाकर रख दिया था. इसकी शुरुआत इंडोनेशियाई समुद्र तल से ही हुई. इससे बाद लगभग हर साल कई भूकंप वहां आ चुके हैं. साल 2021 में भी वहां के सुलावेसी आइलैंड पर ताकतवर भूकंप आया था, जिसमें बहुत सी जानें गईं. इसके अलावा कई बार हवाई जहाज भी इंडोनेशियाई एरिया में पहुंचकर गायब या दुर्घटनाग्रस्त हो चुके. तो क्या द्वीप देश होने के कारण वहां लगातार मुसीबतें आती रहती हैं.
ये देश रिंग ऑफ फायर जोन में आता है. इसके अलावा जावा, सुमात्रा का कुछ हिस्सा भी इसी इलाके में आता है. प्रशांत महासागर के किनारे आता ये एरिया कुदरती मुसीबतों के मामले में दुनिया के सबसे खतरनाक भू-भागों में से है.
क्या है रिंग ऑफ फायर? ये एक एक्टिव भूकंप जोन है, जिसे सर्कम पेसिफिक बेल्ट भी कहते हैं. पेसिफिक ओशन के आसपास ये वो क्षेत्र है, जहां एक्टिव ज्वालामुखी हैं. इसमें हलचल का असर धरती पर भूकंप के रूप में दिखता है. जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ अमेरिका की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पूरी पृथ्वी के 70 प्रतिशत से ज्यादा ज्वालामुखी इसी एरिया के इर्द-गिर्द स्थिति हैं, और 90 प्रतिशत बड़े भूकंप यहीं आते हैं. द्वीप देश में लगातार मौसम भी बदलता रहता है, जैसे धूप वाले दिन में अचानक तूफान आना आम है.
लेकिन भूकंप आता क्यों है? धरती के नीचे कई परतें होती हैं, जो वक्त-वक्त पर सरकती रहती हैं. ये एक सिद्धांत है, जिसे अंग्रेजी में प्लेट टैक्टॉनिक कहते हैं. धरती की ऊपर तह 80 से 100 किलोमीटर तक मोटी होती है, जिसे स्थल मंडल कहा जाता है. इसी हिस्से में कई टुकड़ों में टूटी हुई प्लेट्स भी होती हैं, जो गतिशील होती है. आमतौर पर ये टूटे हुए हिस्से 10 से 40 मिलीमीटर प्रति वर्ष की गति से चलते हैं. कई टुकड़े ज्यादा तेजी से चलते हुए आपस में टकराते हैं. इसी समय जो एनर्जी निकलती है, वो धरती को हिलाकर रख देती है.
भूकंप कितना खतरनाक या मद्धम है, इसे मापने के लिए रिक्टर स्केल का पैमाना इस्तेमाल होता है. इसे रिक्टर मैग्नीट्यूड टेस्ट स्केल भी कहते हैं, जो 1 से 9 तक की तीव्रता को मापता है. 1 से 2.9 तक का भूकंप आम लोगों को महसूस भी नहीं होता, केवल मशीन में रिकॉर्ड होता है. 3 से 4 तक का भूकंप पता तो चलता है, लेकिन नुकसान नहीं होता. वहीं 4 से 5 में हल्के-फुल्के नुकसान का डर रहता है. बता दें कि 6 तक का भूकंप भी मध्यम माना जाता है, जिससे ज्यादा नुकसान नहीं होता. हालांकि इंडोनियाई के ताजा मामले में 6 से कम स्केल के बावजूद जान-माल का भारी नुकसान हुआ.

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