I feel no sorrow, no regret and no grief: कल्याण सिंह
Zee News
kalyan Singh Obituary: अयोध्या में सदियों तक राम मंदिर निर्माण के लिए आंदोलन चला, इसमें हिस्सा लेने वाले तमाम नेता सत्ता के शीर्ष तक पहुंचे, लेकिन कल्याण सिंह (kalyan Singh) को इसलिए याद किया जाता है कि क्योंकि उन्होंने राम भक्ति के आगे मुख्यमंत्री की कुर्सी तक छोड़ दी.
kalyan Singh Obituary: नई दिल्लीः कल्याण सिंह (kalyan Singh Obituary) नहीं रहे, उनकी कहानी जानने के लिए बीते कुछ दशकों के सफर पर चलना होगा. शुरू करते हैं यहां से, जब साल था 1989. 1980 में अपने जन्म के ठीक 10 साल बाद भाजपा सियासी बालपन के दौर में थी. पनप रही थी, मुद्दों को समझ रही थी और अपना प्रभाव बढ़ा रही थी. उसके खाते में था मंदिर मुद्दा जिसे बीजेपी के लालकृष्ण आडवाणी ने बड़ी ही मजबूती से अपने हाथों में पकड़ा और जकड़ा हुआ था. Former Uttar Pradesh CM and former Rajasthan Governor Kalyan Singh passes away at Sanjay Gandhi Postgraduate Institute of Medical Sciences (SGPGI) in Lucknow, due to sepsis and multi organ failure: SGPGI ऐसे मिले कल्याण सिंह (kalyan Singh) लेकिन, इसी साल कुछ ऐसा हुआ कि भाजपा को सियासत की जमीन पर रोड़े अटकने जैसा अहसास हुआ. हुआ यह कि इस साल आधिकारिक तौर पर पिछड़े वर्ग की जातियों को कैटिगरी में बांटा जाने लगा. मीडिया में एक नया शब्द युग्म आया था मंडल और कमंडल. नतीजा, दिल्ली स्थित पार्टी दफ्तर में कई चेहरे बैठे हुए थे, सबकी पेशानी पर बल थे और जेहनी फिकर थी कि अब इस शब्द जाल को कैसे काटा जाए?More Related News