EU की संसद अपने सदस्य देशों को दे सकती है केवल सुझाव, जानें- 27 देशों की इंटरनेशनल पार्लियामेंट के पास कितना पावर?
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यूरोपियन संसद के चुनावों में धुर दक्षिणपंथी दलों ने उम्मीद से कहीं शानदार प्रदर्शन किया. यहां तक कि यूरोपियन पार्लियामेंट में खुद को हारता देख फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने अपनी संसद ही भंग कर दी. कुल मिलाकर, ईयू का ये इलेक्शन बड़े उलटफेर लेकर आएगा. समझिए, यूरोपियन पार्लियामेंट अपने सदस्य देशों की संसद से कैसे अलग है.
यूरोपीय संघ के चुनावों में धुर दक्षिणपंथी दलों ने परंपरागत पार्टियों को बड़ा झटका दिया, फिर चाहे वो फ्रांस हो, या जर्मनी. इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी क दल बड़ी जीत हासिल करते हुए किंगमेकर की स्थिति में पहुंच गया. मेलोनी अब अपने देश के अलावा यूरोपियन संसद की भी बड़ी नेता होंगी. लेकिन क्या अंतर है यूरोपियन संसद और यूरोपीय देशों की अपनी-अपनी संसद में. किसके पास, कितनी ताकत होती है?
क्या है ईयू संसद यह दुनिया की अकेली सीधी चुनी हुई इंटरनेशनल सभा है. इसमें संसद के सदस्य यूरोपीय संघ के नागरिकों के हितों की बात करते हैं. पहले ये केवल एक सुझाव देने वाली संस्था थी, जो यूरोपियन यूनियन के फायदे की बात कहती. देश इसे मानें या न मानें, उनकी मर्जी. लेकिन अब इसके पास काफी शक्तियां आ चुकी हैं. यूरोपीय संसद यूरोपियन यूनियन का अकेला अंग है, जिसके मेंबर्स को सीधे यूरोप की जनता चुनती है. ये पांच सालों के लिए होता है, वहीं इसका स्पीकर ढाई साल बाद बदल जाता है.
क्या-क्या काम इसके हिस्से - मेंबर ऑफ यूरोपियन यूनियन (एमईपी) सदस्य देशों की सरकारों के साथ मिलकर नए-नए कानून बनाते हैं. - वे ग्लोबल मुद्दों पर फैसला लेते हैं, जैसे क्लाइमेट चेंज और रिफ्यूजी पॉलिसी. - संसद यूरोपियन काउंसिल के साथ मिलकर ईयू का बजट तय करती है.
किस देश के पास है कितना प्रतिनिधित्व ईयू में 27 सदस्य देश हैं. 705 सीटों के लिए इनका बंटवारा आबादी के आधार पर होता है. जिन देशों की जनसंख्या ज्यादा है, उनके प्रतिनिधि भी ज्यादा होंगे. जैसे इस बार जर्मनी के सबसे ज्यादा 96 प्रतिनिधि हैं, जबकि फ्रांस के 81. किसी भी देश के 6 से कम प्रतिनिधि नहीं हो सकते, चाहे उसका साइज कुछ भी हो. अगली संसद में बढ़ी हुई आबादी के हिसाब से 720 या इससे ज्यादा सीटें भी हो सकती हैं.
निर्दलीय भी हो सकते हैं शामिल
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