Earthquake: भूकंप के तेज झटकों से हिले ईरान और दुबई, रिक्टर स्केल पर 5.6 रही तीव्रता
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जानकारी के मुताबिक भूकंप का केंद्र ईरान में रहा. जिसके चलते दुबई के अबू धाबी में भी तेज झटके महसूस किए गए. उधर, धरती दहलते ही लोग घबराकर अपने-अपने घरों से बाहर दौड़ पड़े. फिलहाल किसी तरह के जान-मान के नुकसान की सूचना नहीं है.
ईरान और दुबई में बुधवार रात (भारतीय समयानुसार) भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए. भूकंप का केंद्र दक्षिणी ईरान में रहा. जिसके चलते दुबई के अबू धाबी में भी तेज झटके महसूस किए गए. इसकी गहराई 9.8 किमी रही. जानकारी के मुताबिक बहरीन, सऊदी अरब, कतर और संयुक्त अरब अमीरात में भी झटके महसूस किए गए हैं. उधर, धरती दहलते ही लोग घबराकर अपने-अपने घरों से बाहर दौड़ पड़े. फिलहाल किसी तरह के जान-मान के नुकसान की सूचना नहीं है.
मंगलवार दिल्ली-NCR में भूकंप के झटके महसूस किए गए थे. हालांकि भूकंप कम तीव्रता वाला था. रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 2.5 मापी गई थी. भूकंप के झटके रात 9.30 बजे महसूस किए गए थे. नई दिल्ली का पश्चिमी क्षेत्र भूकंप का केंद्र रहा और पांच किलोमीटर इसकी गहराई थी. भूकंप के झटके हल्के रहे, इसलिए ज्यादा लोगों को इसकी भनक नहीं लगी. लेकिन राजधानी और एनसीआर में लगातार आ रहे ये भूकंप के झटके अच्छे संकेत नहीं हैं. दिल्ली संवेदनशील इलाकों में माना जाता है, ऐसे में यहां पर तेज तीव्रता का भूकंप भारी तबाही मचा सकता है. जानकार मानते भी हैं कि आने वाले सालों में एक बड़ा भूकंप आने की संभावना है. ऐसे में लोगों के मन में एक डर बना रहता है.
बता दें कि 21 नवंबर सोमवार को इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता में भीषण भूकंप आया था. जिसमें मरने 250 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी. रिक्टर स्केल पर इस भूकंप की तीव्रता 5.6 मापी गई थी. वहीं सैकड़ों लोग घरों के मलबे में दबकर घायल हुए थे. भूकंप को राजधानी जकार्ता में करीब 75 किमी (45 मील) दूर महसूस किया गया था. भूकंप से कम से कम 2,200 घरों को नुकसान पहुंचा और 5,000 से अधिक लोग विस्थापित हुए.
क्यों बढ़ रही भूकंप की घटनाएं
यूनाइटेड स्टेट्स जियोलॉजिकल सर्वे (USGS) की मानें तो भूकंपीय गतिविधियों को थोड़ा बहुत बढ़ना कोई बड़ी बात नहीं है. इनके बढ़ने से किसी बड़ी आपदा की चेतावनी जारी नहीं की जा सकती. लेकिन पिछले कुछ सालों में भूकंपों के आने की मात्रा बढ़ी है. इसका रिकॉर्ड कॉमकैट अर्थक्वेक कैटालॉग में रखा जाता है. यह इसलिए नहीं कि भूकंप सच में बढ़ गए हैं. बल्कि हमारे पास भूकंपों को नापने की मशीनें और यंत्र बढ़ गए हैं. उनकी तैनाती बढ़ गई है. इसलिए हमारे पास ज्यादा से ज्यादा भूकंपों की जानकारी आती रहती है.
दुनियाभर में हर साल 20 हजार भूकंप आते हैं. यानी हर दिन करीब 55 भूकंप. देशों के बीच संचार प्रणाली बेहतर होने की वजह से एक दूसरे को भूकंपों की तेजी से सूचना मिल जाती है. सुनामी अलर्ट जारी हो जाता है. इसलिए लोगों को लगता है कि भूकंप ज्यादा आ रहे हैं. अगर आप लंबे समय के भूकंपीय इतिहास को देखेंगे यानी 1900 से अब तक तो हर साल करीब 16 बड़े भूकंप आते हैं. इनमें से 15 भूकंप 7 रिक्टर पैमान के आसपास या उससे ज्यादा के होते हैं. सिर्फ एक ही भूकंप ऐसा होता है जो 8 की तीव्रता को छूता है. या उससे ज्यादा होता है.
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