Crude Oil के प्रोडक्शन से हटेगा सरकारी पहरा, 1 अक्टूबर से चलेगी कंपनियों की मर्जी
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नए नियम के मुताबिक कंपनियां अब क्रूड ऑयल का आपस में ट्रेड करने के लिए फ्री होंगी. इससे कंपनियों के बीच क्रूड ऑयल का प्रोडक्शन बढ़ाने के लिए प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और घरेलू स्तर पर उत्पादन बढ़ेगा. इससे अंतत: सरकार की रॉयल्टी और सेस के तौर पर इनकम बढ़ेगी.
केंद्र सरकार ने देश में क्रूड ऑयल का प्रोडक्शन बढ़े और आयात पर निर्भरता कम हो, इसका तरीका खोज लिया है. अब सरकार घरेलू क्रूड ऑयल के ट्रेड को सरकारी बेड़ियों से मुक्त करने जा रही है. बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में इस संबंध में कैबिनेट की मीटिंग में एक बड़ा फैसला किया गया जिससे क्रूड ऑयल प्रोडक्शन में लगी कंपनियां बाजार में कच्चे तेल का व्यापार करने के लिए फ्री होंगी. इतना ही नहीं आने वाले समय में जब देश में कच्चे तेल का उत्पादन बढ़ेगा तो सरकारी खजाने को भी इससे भरने में मदद मिलेगी.
ONGC, OIL को मिलेगी बड़ी राहत कैबिनेट के फैसलों की जानकारी देते हुए केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि सरकार ने अब देश में उत्पादित होने वाले कच्चे तेल (Domestic Crude Oil) की बिक्री को सरकारी पहरे से छूट (Deregulation) दे दी है. घरेलू स्तर पर कच्चे तेल का उत्पादन करने वाली तेल कंपनियां 1 अक्टूबर 2022 से अपनी मर्जी से कहीं भी कच्चा तेल बेच सकेंगी. अभी कंपनियों को प्रोडक्शन शेयरिंग कॉन्ट्रैक्ट (PSC) के नियमों के तहत सरकार या उसके नॉमिनी या सरकारी कंपनियों को ही कच्चा तेल बेचना होता है, लेकिन अब तेल उत्पादक कंपनियों को अपने तेल के कुंओं (Crude Oil Field) से किसी भी रिफाइनरी कंपनी को कच्चा तेल बेचने की अनुमति होगी. हालांकि देश से कच्चे तेल के निर्यात पर पाबंदी लगी रहेगी.
भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल खरीदार देश है. अपनी जरूरत का 80% से ज्यादा तेल भारत आयात करता है. ऐसे में सरकार लगातार कच्चे तेल के घरेलू उत्पादन को बढ़ाने की दिशा में कम करती रहती है. सरकार के इस फैसले से ONGC और OIL जैसी क्रूड ऑयल एक्सप्लोरेशन कंपनियों को निश्चित तौर पर फायदा मिलने जा रहा है.
नहीं होगा राजस्व का नुकसान केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने साफ किया कि सरकार के इस फैसले से सरकारी खजाने पर कोई असर नहीं पड़ने वाला है. क्रूड ऑयल एक्सप्लोरेशन से सरकार को मिलने वाली रॉयल्टी, सेस और अन्य इनकम पहले की तरह ही मिलती रहेगी. इनका कैलकुलेशन सभी कॉन्ट्रैक्ट के लिए यूनिफॉर्म बेसिस पर किया जाएगा.
वहीं एक्सपर्ट का मानना है कि इससे आने वाले समय में सरकारी खजाना और भरेगा. मौजूदा समय में केंद्र सरकार तय करती है कि किस सरकारी रिफाइनरी को किस तेल उत्पादक कंपनी से कितना कच्चा तेल मिलेगा. अब नए नियम के मुताबिक कंपनियां आपस में ट्रेड करने के लिए फ्री होंगी. इससे कंपनियों के बीच क्रूड ऑयल का प्रोडक्शन बढ़ाने के लिए प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और घरेलू स्तर पर उत्पादन बढ़ेगा. इससे अंतत: सरकार की रॉयल्टी और सेस के तौर पर इनकम बढ़ेगी.
हाल में सरकार के ऊपर पेट्रोल-डीजल पर एक्साइज ड्यूटी कम करने से जो 1 लाख करोड़ रुपये का बोझ बढ़ा है. इस फैसले से उसे कम करने में मदद मिलेगी.
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