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'अडानी के जाने से दुनिया में गलत संदेश गया...,' श्रीलंकाई सांसद ने अपनी सरकार को सुनाई खरी-खरी
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Sri Lanka में टीपीए सांसद मनो गणेशन ने संसद में अडानी मुद्दे पर संबोधित करते हुए देश की सरकार पर निशाना साधा और कहा कि Adani Green के श्रीलंका से जाने से दुनिया को गलत संकेत मिला है.
बीते फरवरी महीने में गौतम अडानी (Gautam Adani) के नेतृत्व वाले अडानी ग्रुप की कंपनी अडानी ग्रीन एनर्जी (Adani Green Energy) ने श्रीलंका में अपने प्रस्तावित दो विंड एनर्जी प्रोजेक्ट्स को छोड़ दिया था. इसके लेकर श्रीलंकाई सांसद ने देश की सरकार पर निशाना साधा है. टीपीए सांसद मनो गणेशन (TPA MP Mano Ganesan) ने संसद में कहा कि अडानी के जाने से दुनिया को गलत संकेत मिलता है और आपने अडानी को नहीं, बल्कि Adani ने आपको छोड़ा है. आइए जानते हैं कि आखिर उन्होंने ऐसा क्यों कहा?
FDI पर दिख सकता है असर पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, श्रीलंका में तमिल प्रोग्रेसिव अलायंस (TPA) सांसद मनो गणेशन ने अडानी मुद्दे पर संसद को संबोधित करते हुए Sri Lanka Govt से कहा कि अडानी ग्रुप की कंपनी अडानी ग्रीन एनर्जी के जाने से एफडीआई पर प्रतिकूल प्रभाव देखने को मिल सकता है. उन्होंने सरकार और राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके से सवाल करते हुए कहा कि आप यूएई गए और वापस लौट आए, वहां क्या हुआ? क्या कोई निवेश आ रहा है? गणेशन के मुताबिक, विदेशी निवेशक केवल भारतीय भागीदारों के साथ ही यहां आएंगे.
'समझदारी से की जा सकती थी चर्चा' श्रीलंकाई सांसद यहीं नहीं रुके, बल्कि उन्होंने अपने संबोधन में यहां तक कह दिया कि, 'आपने अडानी को नहीं छोड़ा, बल्कि सच्चाई यह है कि अडानी ने आपको छोड़ा है. उन्होंने कहा कि मूल्य निर्धारण पर हमारा मुद्दा, यदि कोई था, तो उसपर समझदारी से चर्चा की जा सकती थी. भारत के साथ ग्रिड कनेक्टिविटी के माध्यम से संभावित ऊर्जा निर्यात, श्रीलंका को राजस्व लाएगा, आप इसे समझने में विफल रहे.
मन्नार-पूनरी कोस्टल में प्रस्तावित थे प्रोजेक्ट Adani Group की कंपनी अडानी ग्रीन एनर्जी की ओर से श्रीलंका में रिन्यूवेबल विंड एनर्जी प्रोजेक्ट्स और दो प्रस्तावित ट्रांसमिशन प्रोजेक्ट्स से हटने के अपने बोर्ड के फैसले के बारे में श्रीलंका को जानकारी दी गई थी. 484 मेगावाट इन प्रोजेक्ट को श्रीलंका के मन्नार और पूनरी कोस्टल एरिया में बनाया जाना था. रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, कंपनी ने देश के संबंधित विभाग को नोट के जरिए इस बात की जानकारी दी थी और इसके साथ ही कहा था कि हम श्रीलंका के लिए प्रतिबद्ध हैं और अगर श्रीलंका सरकार चाहे तो भविष्य में सहयोग के लिए तैयार हैं.
क्यों इस प्रोजेक्ट से हटी कंपनी? श्रीलंका ने 2022 में अपने आर्थिक संकट के दौरान गंभीर बिजली कटौती और ईंधन की कमी का सामना किया था. महंगे आयातित ईंधन पर अपनी निर्भरता कम करने के लिए नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं में तेजी लाने के लिए काम कर रहा है. मई 2024 में श्रीलंका की इससे पहले की सरकार ने द्वीप के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र में मैन्युफैक्चरिंग के लिए अडानी विंड एनर्जी सर्विस से 0.0826 डॉलर प्रति किलोवाट की दर से बिजली खरीदने के लिए एक समझौता किया था.
इस डील का विरोध वर्कर की ओर से हुआ, जिनका मानना था कि छोटी रिन्यूवेबल एनर्जी प्रोजेक्ट्स अडानी के प्रस्ताव की तुलना में काफी कम लागत पर बिजली उपलब्ध कराने में सक्षम थीं. अब कंपनी ने इन प्रोजेक्ट्स से बाहर निकलने का फैसला किया है.
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