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China से भिड़ना अमेरिका को भी पड़ जाएगा भारी! देखें कितना खतरनाक हैं ड्रैगन के हथियार
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अमेरिका भले ही दुनिया की महाशक्ति हो, फिर भी उसे यकीन नहीं है कि वो ताइवान को चीन के हमले से बचा पाएगा. ये चौंकाने वाला खुलासा एक अमेरिकी रिपोर्ट में किया गया है. पिछले महीने 8 मार्च को CSR रिपोर्ट में कहा गया ताइवान को बचाना अमेरिका के लिए मुश्किल होगा. इसकी सबसे बड़ी वजह चीन की एंटी शिप बैलेस्टिक मिसाइल है, जो समंदर में किसी भी टारगेट को चुटकियों में ध्वस्त कर देगी. US कांग्रेश्नल रिसर्च सर्विस ने ताइवान पर अमेरिका को चेताया है. ताइवान पर कब्जा करने की तैयारी चीन सालों से कर रहा है. उसे पता है कि ताइवान को बचाने अमेरिका भी आ सकता है. इसलिए उसने अमेरिकी हमले से निपटने का भी हथियार ताइवान के खिलाफ तैनात कर दिया है.
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की व्हाइट हाउस में हुई मुलाकात ने दोनों नेताओं के बीच गहरी मित्रता को दर्शाया. ट्रंप ने मोदी को 'आई मिस यू' कहकर स्वागत किया, जबकि मोदी ने दोनों देशों के संबंधों को '1+1=111' बताया. दोनों नेताओं ने व्यापार, सुरक्षा और द्विपक्षीय संबंधों पर चर्चा की. ट्रंप ने मोदी को 'महान नेता' और 'खास व्यक्ति' बताया. मोदी ने 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 500 अरब डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा. दोनों नेताओं ने यूक्रेन युद्ध पर भी चर्चा की और शांति की आवश्यकता पर जोर दिया.
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की व्हाइट हाउस में हुई मुलाकात में दोस्ती और व्यापार पर चर्चा हुई. दोनों नेताओं ने एक-दूसरे की तारीफ की, लेकिन व्यापार मुद्दों पर तनाव बरकरार रहा. ट्रंप ने रेसिप्रोकल टैरिफ की घोषणा की, जो भारत के लिए चुनौती हो सकती है. मुलाकात में एफ-35 फाइटर जेट्स और तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण पर भी चर्चा हुई.