AK-47 से फायरिंग कर रहे गैंगस्टर को पीठ में कैसे मारी 6 गोली... आनंदपाल की मौत पर क्या सवाल उठे थे
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आनंदपाल सिंह के एनकाउंटर पर उनके परिजनों के एडवोकेट ने इसे फर्जी बताते हुए कहा कि उसको हरियाणा से पकड़कर लाया गया था और चुरु में मैनेज कर फर्जी एनकाउंटर किया गया. वकील ने कहा कि पुलिस की पूरी कहानी में कई ऐसे झोल हैं, जिस पर बहुत सारे लोगों को भरोसा नहीं हो रहा था.
राजस्थान के गैंगस्टर आनंदपाल के एनकाउंटर को लेकर जोधपुर की ACJM कोर्ट ने बुधवार को बड़ा फैसला सुनाते हुए सीबीआई की ओर से दायर क्लोजर रिपोर्ट को खारिज कर दिया और एनकाउंटर में शामिल 5 पुलिसकर्मियों के खिलाफ हत्या का मुकदमा चलाने का फैसला सुनाया. वैसे तो इस एनकाउंटर को हुए करीब 7 साल का वक्त बीत गया है लेकिन ये जानना जरूरी है कि आखिर इस एनकाउंटर को लेकर पुलिस और आनंदपाल के परिजनों के क्या दावे रहे हैं. क्यों आनंदपाल के एनकाउंटर को लेकर हफ्तों तक राजस्थान और अगल-बगल के राज्यों में प्रदर्शन हुए थे.आइए जानते हैं आनंदपाल के एनकाउंटर से जुड़ी हर डिटेल
24 जून 2017 को हुआ था एनकाउंटर तारीख थी 24 जून 2017 और समय था रात के करीब 10.25 मिनट का जब ये खबर सामने आई कि पुलिस ने गैंगस्टर आनंदपाल सिंह को एनकाउंटर में मार गिराया है. लेकिन कुछ ही समय बाद इस एनकाउंटर को लेकर तमाम सवाल उठने लगे. आनंदपाल के परिजनों ने भी इसे फर्जी एनकाउंटर करार देते हुए आनंदपाल के अंतिम संस्कार से इनकार कर दिया. देखते ही देखते पूरे राजस्थान में विरोध शुरू हो गए. अन्य राज्यों से भी राजपूत आनंदपाल के समर्थन में पहुंचने लगे.
क्यों खड़े हुए आनंदपाल के एनकाउंटर पर सवाल आनंदपाल सिंह के एनकाउंटर पर उनके परिजनों के एडवोकेट ने इसे फर्जी बताते हुए कहा कि उसको हरियाणा से पकड़कर लाया गया था और चुरु में मैनेज कर फर्जी एनकाउंटर किया गया. वकील ने कहा कि पुलिस की पूरी कहानी में कई ऐसे झोल हैं, जिस पर बहुत सारे लोगों को भरोसा नहीं हो रहा है. बताया गया कि उसके लोकेशन के बारे में उसके भाईयों तक को पता नहीं होता था, तो पकड़ा कैसे गया.
एक-47 से चलाई गोली फिर... वकील ने इस एनकाउंटर को फर्जी बताते हुए कहा कि पुलिस ने बताया था कि आनंदपाल के पास 400 कारतूस बचे थे और वो एके-47 से गोलियां बरसा रहा था फिर भी पुलिस ने उसके पास जाकर पीठ में कैसे गोली मार दी. इस एनकाउंटर में घायल सभी पुलिसकर्मी राजपूत थे. परिजनों ने आरोप लगाया कि ऐसे कैसे हो गया. तर्क दिया गया कि चूंकि राजपूतों की सहानुभूति आनंदपाल के साथ रहती थी, इसलिए घायल पुलिसकर्मियों को राजपूत की तरह पेश किया गया.वकील ने कहा कि आनंदपाल सरेंडर करना चाहता था, लेकिन सुरक्षा के साथ.
भाई को ढाल बनाकर मारी गोली आनंदपाल सिंह के एनकाउंटर से पहले उसके भाई रुपेश उर्फ विक्की और उसके गुर्गे देवेंद्र उर्फ गट्टू को पुलिस ने पकड़ा था. कहा जाता है कि पुलिस ने दोनों के एनकाउंटर करने की धमकी दी. इस पर विक्की तो कुछ नहीं बोला, लेकिन गट्टू डर गया. गट्टू ने बता दिया कि आनंदपाल सिंह एक दिन पहले ही राजस्थान आया है. चुरु के मौलासर के खेत में बने श्रवण सिंह के एक मकान में रह रहा है. यह पता लगते ही करीब 150 पुलिस और कमाडों के साथ चुरु पहुंची. पुलिस ने मौलासर गांव को पूरी तरह घेर लिया.
आनंदपाल की पत्नी के वकील ने क्या कहा आनंदपाल की पत्नी राजकंवर और भाई रुपिंदर सिंह की तरफ से वकील भंवर सिंह राठौड़ ने अदालत में इस पूरे मामले को चैलेंज किया था. राठोड़ ने बताया कि हमारे द्वारा पुलिस की पेश की गई क्लोजर रिपोर्ट को चेलेंज किया गया था, हमने कोर्ट को बताया कि घटना के दिन आनंदपाल घर की छत पर छुपा हुआ था. पुलिस ऊपर नहीं जा पा रही थी. तब उसके भाई रुपिंदर को अधिकारियों ने कहा कि आप आगे चलो, हम आनंदपाल को नहीं मारेंगे. इस रुपिंदर के पीछे पुलिस छत पर पहुंची . जहां आनंदपाल ने सरेंडर किया. जिसके तुरंत बाद उसके साथ मारपीट की गई. उसी दौरान तत्कालीन एसपी राहुल बाहरठ, एडिशनल एसपी विद्या प्रकाश चौधरी , डीएसपी सूर्यवीर सिंह राठौड़, आरएसी हैड कांस्टेबल कैलाश ने आनंदपाल की गोली मारकर हत्या कर दी थी.
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