वो पेच जिस वजह से क्राइम नहीं है मैरिटल रेप, क्या SC बदलेगा नियम? जानें- इसे अपराध के दायरे में क्यों नहीं लाना चाहता केंद्र
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मैरिटल रेप को लेकर कोई नियम बनाए जाए या नहीं? और मैरिटल रेप से पति को छूट दी जाए या नहीं? इस पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा. मैरिटल रेप को लेकर सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दायर हैं. केंद्र से भी जवाब मांगा गया था, लेकिन अब तक सरकार ने हलफनामा दायर नहीं किया है. ऐसे में जानते हैं कि मैरिटल रेप अपराध क्यों नहीं है?
मैरिटल रेप यानी वैवाहिक बलात्कार... बरसों से इस मुद्दे पर बहस होती आ रही है. मगर आज तक भारत में मैरिटल रेप को लेकर कोई कानून नहीं है. इतना ही नहीं, शादी के बाद अगर पति जबरदस्ती पत्नी के साथ संबंध बनाता है, तो भी उसे सजा नहीं हो सकती, क्योंकि कानूनन ये अपराध नहीं है.
पर अब सुप्रीम कोर्ट ने मैरिटल रेप पर चिंता जताई है. सुप्रीम कोर्ट में मैरिटल रेप को अपराध के दायरे में लाने की मांग को लेकर कई याचिकाएं दायर हैं. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब भी मांगा था. हालांकि, केंद्र की ओर से कोई जवाब नहीं दिया गया है. अब सुप्रीम कोर्ट इन याचिकाओं पर सुनवाई करने के लिए राजी हो गया है.
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच केंद्र सरकार की चुप्पी के बावजूद इन याचिकाओं पर सुनवाई करेगी. बेंच ने कहा कि भले ही केंद्र ने कोई राय न दी हो, लेकिन ये कानून का मामला है और सरकार को इस पर बहस करनी होगी.
कोर्ट की ये टिप्पणी तब आई, जब सीनियर एडवोकेट इंदिरा जयसिंह ने अदालत से इस मामले में जल्द से जल्द सुनवाई करने की अपील की. इंदिरा जयसिंह एक याचिकाकर्ता की वकील हैं.
कई सारी याचिकाएं हैं दायर
मई 2022 में मैरिटल रेप पर दिल्ली हाईकोर्ट की दो जजों की बेंच ने अलग-अलग फैसला दिया था. जस्टिस राजीव शकधर ने मैरिटल रेप पर पतियों को छूट देने वाले कानूनी प्रावधान को 'असंवैधानिक' बताया था. जबकि, जस्टिस सी. हरि शंकर ने याचिकाकर्ता को सुप्रीम कोर्ट जाने की अनुमति दी थी.
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