AAP की सबसे मुश्किल लड़ाई, कांग्रेस में कॉन्फिडेंस की कमी और BJP... जानें दिल्ली चुनाव में कहां खड़ीं तीनों पार्टियां
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पिछले 10 सालों से अरविंद केजरीवाल की अगुआई वाली आम आदमी पार्टी (आप) सत्ता में है. लेकिन, इस बार 70 सीटों में से ज़्यादातर पर त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल रहा है. 1998 से दिल्ली की सत्ता से बाहर रही भाजपा राष्ट्रीय राजधानी में फिर से सत्ता हासिल करने के लिए पुरज़ोर कोशिश कर रही है. इस लड़ाई में कांग्रेस तीसरे नंबर पर है.
दिल्ली में 5 फरवरी को होने वाले चुनाव को लेकर सियासी पारा हाई है. पिछले 10 सालों से अरविंद केजरीवाल की अगुआई वाली आम आदमी पार्टी (आप) सत्ता में है. लेकिन, इस बार 70 सीटों में से ज़्यादातर पर त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल रहा है, जो केजरीवाल और उनकी पार्टी के लिए कड़ी चुनौती पेश कर सकता है.
1998 से दिल्ली की सत्ता से बाहर रही भाजपा राष्ट्रीय राजधानी में फिर से सत्ता हासिल करने के लिए पुरज़ोर कोशिश कर रही है. हालांकि, पार्टी पिछले 27 सालों से शहर के राजनीतिक परिदृश्य में अपना दबदबा कायम करने के लिए संघर्ष कर रही है.
इस लड़ाई में कांग्रेस तीसरे नंबर पर है. पार्टी ने 2013 में केजरीवाल के हाथों सत्ता खो दी थी और तब से दिल्ली की राजनीति में प्रासंगिक बने रहने के लिए संघर्ष कर रही है. इस चुनाव में कांग्रेस अपनी खोई हुई ज़मीन वापस पाने के लिए कड़ी मशक्कत कर रही है.
AAP: क्या काम कर रही है और क्या नहीं
आम आदमी पार्टी पिछले एक दशक से सत्ता में है. इसकी शिक्षा और स्वास्थ्य योजनाओं के साथ-साथ मुफ़्त बिजली और पानी ने पिछले दो चुनावों में कमाल कर दिया है, जहां इसने क्रमशः 67 और 62 सीटें जीती हैं. महिलाओं के लिए मुफ़्त बस यात्रा ने भी पार्टी को दिल्ली के मतदाताओं के बीच महत्वपूर्ण समर्थन बनाए रखने में मदद की है. इस बार, पार्टी ने सत्ता में वापस आने पर सभी पात्र महिला मतदाताओं को 2,100 रुपये प्रति माह देने का वादा किया है. चूंकि अरविंद केजरीवाल ने पहले भी अपने वादों को पूरा किया है, इसलिए मतदाताओं, खासकर महिलाओं के बीच उनका भरोसा मज़बूत बना हुआ है.
हालांकि, पार्टी अब तक की अपनी सबसे कठिन लड़ाई का सामना कर रही है. भाजपा और कांग्रेस दोनों ने ही इसी तरह के वादे किए हैं, जिससे मुफ़्त चीज़ों के मामले में आप अपनी विशिष्टता खो रही है. पार्टी खास तौर पर विकास परियोजनाओं को लेकर मज़बूत सत्ता विरोधी भावना से भी जूझ रही है. कई मतदाता प्रदूषित पानी और खराब सड़क की स्थिति से असंतुष्ट हैं. इसके अलावा, आप के कई नेता भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना कर रहे हैं. इसलिए, सत्ता विरोधी लहर और विपक्ष के आक्रामक वादों का संयोजन पार्टी के लिए गंभीर चुनौतियां पेश कर रहा है.
पिछले 10 सालों से अरविंद केजरीवाल की अगुआई वाली आम आदमी पार्टी (आप) सत्ता में है. लेकिन, इस बार 70 सीटों में से ज़्यादातर पर त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल रहा है. 1998 से दिल्ली की सत्ता से बाहर रही भाजपा राष्ट्रीय राजधानी में फिर से सत्ता हासिल करने के लिए पुरज़ोर कोशिश कर रही है. इस लड़ाई में कांग्रेस तीसरे नंबर पर है.
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