9-9-6 वर्क कल्चर से चीन जैसे देश हट चुके हैं पीछे... समझिए क्यों प्रैक्टिकल नहीं है हफ्ते में 90 घंटे का काम
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आंकड़ों के मुताबिक, भारत में क्लेरिकल स्टाफ एक हफ्ते में 56 घंटे काम करता है, जबकि सॉफ्टवेयर इंजीनियर, डॉक्टर, लॉयर जैसे प्रोफेशनल्स सप्ताह में 52 घंटे काम करते हैं. भारत के कॉर्पोरेट सेक्टर में काम करने वाले CEOs, मैनेजर और अन्य फैसले लेने वाले अफसर हफ्ते में 57 घंटे काम करते हैं.
इंफोसिस के सह-संस्थापक एन. आर. नारायणमूर्ति के सप्ताह में 70 घंटे काम करने वाले बयान पर अभी प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले लोगों के बीच बहस शांत नहीं हुई थी, एल एंड टी (L&T) के चेयरमैन एस.एन सुब्रमण्यन ने सप्ताह में सातों दिन और 90-घंटे काम करने की सलाह देकर इस बहस को और बढ़ा दिया है.
लार्सन एंड टुब्रो के चेयरमैन ने यह विचार अपनी कंपनी के एक कार्यक्रम में कर्मचारियों के साथ बातचीत के दौरान व्यक्त किया था, जो जंगल की आग की तरह फैल गई. हालांकि, कहुत मजबूत अर्थव्यवस्थाओं वाले विकसित देशों में भी लोग कम घंटे काम करते हैं, लेकिन कहीं अधिक प्रोडक्टिव होते हैं.
सिर्फ सैनिक सबसे अधिक घंटे काम करते हैं
अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (International Labour Organization- ILO) की एक रिपोर्ट के मुताबिक सिर्फ सैनिक ही काम के मामले में सप्ताह में करीब 90 घंटे के आसपास पहुंचते हैं. आईएलओ के डेटा के मुताबिक 2023 में होंडुरास में सैनिकों ने सप्ताह में 80 घंटे काम किया. दशकों के आंकड़ों से पता चलता है कि विभिन्न देशों में केवल सशस्त्र बल ही सप्ताह में 90 घंटे के आसपास काम करते हैं, हालांकि उन्होंने भी 90 घंटे का आंकड़ा नहीं छुआ है. आईएलओ ने ग्लोबली तीन कैटेगरी का एनालिसिस किया. भारत के फॉर्मल सेक्टर में काम करने वाले लोग इनमें से दो के लिए विश्व स्तर पर सप्ताह में सबसे अधिक घंटे दफ्तर में बिताते हैं.
आंकड़ों के मुताबिक भारत में क्लेरिकल स्टाफ सप्ताह में 56 घंटे काम करता है, जबकि सॉफ्टवेयर इंजीनियर, डॉक्टर, लॉयर जैसे प्रोफेशनल्स सप्ताह में 52 घंटे काम करते हैं. भारत के कॉर्पोरेट सेक्टर में काम करने वाले सीईओ, मैनेजर और अन्य निर्णय लेने वाले अफसर सप्ताह में 57 घंटे काम करते हैं. लेकिन सूडान इस कैटेगरी में भारत से आगे है, वहां के कॉर्पोरेट सेक्टर में काम करने वाले अफसर सप्ताह में 60 घंटे काम करते हैं.
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