47 टनल, 121 ब्रिज, देखिए चीन ने कैसे तिब्बत के दुर्गम रास्ते में चला दी बुलेट ट्रेन
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तिब्बत में चीन की पहली बुलेट ट्रेन की तस्वीर सामने आ चुकी है. चीन ने 25 जून को इसका संचालन शुरू किया था. तिब्बत में पहली बार यात्री तेज रफ्तार बुलेट ट्रेन में बैठकर पहाड़ी दृश्यों का आनंद ले रहे हैं. यह ट्रेन तिब्बत की प्रांतीय राजधानी ल्हासा और अरुणाचल प्रदेश की सीमा से सटे शहर न्यिंगची को जोड़ रही है.
तिब्बत में चीन की पहली बुलेट ट्रेन की तस्वीर सामने आ चुकी है. चीन ने 25 जून को इसका संचालन शुरू किया था. तिब्बत में पहली बार यात्री तेज रफ्तार बुलेट ट्रेन में बैठकर पहाड़ी दृश्यों का आनंद ले रहे हैं. यह ट्रेन तिब्बत की प्रांतीय राजधानी ल्हासा और अरुणाचल प्रदेश की सीमा से सटे शहर न्यिंगची को जोड़ रही है. ल्हासा को न्यिंगची शहर से जोड़ने वाली यह लाइन 435 किलोमीटर लंबी है. यह हाई-स्पीड ट्रेन मुख्य चीन के सभी 31 प्रांतीय शहरों से होकर गुजर रही है. हालांकि, जिस तेजी से चीन अरुणाचल की सीमा तक अपने बुनियादी ढांचे को मजबूत कर रहा है, भारत की चिंता बढ़ती जा रही है. (फोटो-Getty Images) 47 टनल, 121 ब्रिजः 'दुनिया की छत' कहे जाने वाले तिब्बत में हाई-स्पीड रेलमार्ग का निर्माण करना कोई आसान बात नहीं थी. समुद्र से 3000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित इस लाइन के 90 फीसदी हिस्से को बनाने में चीन को छह साल लग गए. ल्हासा-न्यिंगची लाइन में 47 सुरंगें और 121 ब्रिज हैं- जो पूरे रास्ते का करीब 75 फीसदी हिस्सा है. इसमें 525 मीटर लंबा जांगमु रेलवे ब्रिज शामिल है, जो दुनिया में अपनी तरह का सबसे बड़ा और सबसे ऊंचा आर्क ब्रिज है. (फोटो-Getty Images)पाकिस्तान से साठगांठ, ISI की बढ़ती एक्टिविटी, कैसे बांग्लादेश फिर से भारत के लिए सिरदर्द बन सकता है?
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