3 राज्यों में विधानसभा चुनाव... 23 जुलाई को बजट, जानिए क्या-क्या दांव चल सकती हैं मोदी सरकार!
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माना जा रहा है कि इस बार के बजट में चुनावों में दूर छिटके मध्यवर्ग को अपनी तरफ खींचने के लिए सरकार टैक्स छूट का तोहफा दे सकती है. क्योंकि लोकसभा चुनाव में मिले झटके के बाद इस बार मध्यम वर्ग के लिए फ्रेंडली बजट पेश किया जा सकता है.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 23 जुलाई को 2024-25 का आम बजट पेश करके लगातार सातवीं बार बजट पेश करने वाली पहली वित्त मंत्री बन जाएंगी. लेकिन इस रिकॉर्ड को कायम करने की राह में वित्त मंत्री के सामने ऐसा बजट पेश करने की चुनौती है जो महंगाई और रोजगार की समस्या घटाने के साथ ही इकोनॉमी की स्पीड में भी तेजी लाने का काम करे.
दरअसल, लोकसभा चुनाव में भाजपा अपने दम पर बहुमत हासिल नहीं कर पाई है. ऐसे में इस साल होने वाले हरियाणा, महाराष्ट्र और झारखंड के विधानसभा चुनावों से पहले इस बजट के जरिए लोगों का भरोसा जीतने के लिए कई बड़े एलान किए जाने का अनुमान है. नई सरकारें आमतौर पर लोक-लुभावन बजट पेश नहीं करती हैं. लेकिन लोकसभा चुनाव में मिले झटके के बाद इस बार मध्यम वर्ग के लिए फ्रेंडली बजट पेश किया जा सकता है.
बजट से मिलेगी मध्यम वर्ग को राहत सबसे पहले तो माना जा रहा है कि इस बार के बजट में चुनावों में दूर छिटके मध्यवर्ग को अपनी तरफ खींचने के लिए सरकार टैक्स छूट का तोहफा दे सकती है. अनुमान है कि सरकार आयकर छूट की सीमा को बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर सकती है. इसके अलावा टैक्स स्लैब्स को भी बढ़ाकर लोगों की जेब में ज्यादा रकम पहुंचा सकती है.
इस कदम से सरकार टैक्स का बोझ कम करेगी जिससे लोगों को महंगाई से राहत मिल सकती है. वहीं नए टैक्स सिस्टम को आकर्षक बनाने के लिए टैक्स डिडक्शन लिमिट को बढ़ाने और दूसरी जरूरी कटौतियों को शामिल किया जा सकता है. इसे बढ़ाने से टैक्सपेयर्स को राहत मिलेगी और पुरानी टैक्स रीजीम से स्विच करने के लिए ज्यादा प्रोत्साहित किया जा सकेगा.
ग्रामीण रोजगार पर रहेगा फोकस! इसके बाद सरकार युवाओं को साधने के मकसद से रोजगार बढ़ाने वाली योजनाओं का बजट में ऐलान कर सकती है. रोजगार को बढ़ाने के लिए ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने से जुड़े ऐलान भी किए जा सकते हैं. जानकारों ने पीएम मोदी के सामने भी कृषि विकास के बारे में चिंता जताई थी. वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार की कमी और उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए मुद्रा योजना के तहत दिए गए छोटे-छोटे कर्जों के बावजूद क्रेडिट ग्रोथ में सुस्ती को भी उजागर किया गया था. इस समस्या का समाधान करके सरकार कई दूसरे सेक्टर्स की भी मदद करेगी क्योंकि FMCG से लेकर कंज्यूमर ड्यूरेबल्स तक की ग्रोथ देश के ग्रामीण बाजारों पर निर्भर है. इसी तरह कृषि क्षेत्र के लिए भी कई एलान बजट में किए जा सकते हैं.
कृषि में MSP का मुद्दा सुलझाएगा बजट! किसानों को उनकी उपज का सही मूल्य दिलाने के लिए MSP की खामियां सरकार दूर कर सकती है. फसलों की सरकारी खरीद कुल उपज का करीब 6 फ़ीसदी है. ऐसे में कृषि बाजारों और ग्राम हाट जैसे वैकल्पिक सिस्टम को तैयार करके ज्यादातर किसानों को MSP जितना दाम दिलाया जा सकता है. उत्पादन बढ़ाने के लिए बेहतर बीज का इंतजाम आसान किया जा सकता है. पीएम किसान की रकम को 6 हजार से बढ़ाकर 8 हजार या उससे भी ज्यादा किया जा सकता है.
अभिभावकों ने झिझकते हुए हमें बताया कि “हमने कई बार शिक्षकों के सामने इस मुद्दे को उठाया है, यहां तक कि सरकारी स्कूल के प्रिंसिपल से भी इस मुद्दे को उठाया है, लेकिन आश्वासन के अलावा हमें कुछ नहीं मिला है. मेरे बच्चों को कुछ ही दिनों में अपनी परीक्षा देनी है. हमने अपने रिश्तेदारों से पाठ्यपुस्तकें उधार ली हैं ताकि परीक्षा बिना किसी बाधा के हो सके.
कोचिंग सिटी (कोटा) के जवाहर नगर इलाके में एक मल्टीस्टोरी बिल्डिंग से कूदकर एक छात्रा ने सुसाइड कर लिया, घटना मंगलवार रात 8 बजे के आसपास की है. ऊंचाई से गिरने से छात्रा की मौके पर ही मौत हो गई, घटना का पता लगने पर मौके पर मौजूद लोग उसे लेकर न्यू मेडिकल हॉस्पिटल पहुंचे और पुलिस को सूचना दी, फिलहाल सुसाइड के कारण सामने नहीं आए हैंं.