
2047 से पहले रुपया बनेगा Global Currency, सरकार ने शुरू की तैयारी
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Rupee Will Become International Currency: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने इस साल जुलाई में बैंकों को आयात-निर्यात के सौदे रुपये में करने के लिए जरूरी इंतजाम करने के निर्देश दिए थे. अब DGFT ने एक अधिसूचना में कहा है कि RBI के 11 जुलाई, 2022 के निर्देश के मुताबिक पैराग्राफ 2.52 (डी) को अधिसूचित किया गया है.
वाणिज्य मंत्रालय (Ministry of Commerce) ने हाल ही में अंतरराष्ट्रीय व्यापार को रुपये में करने के लिए विदेश व्यापार नीति में बदलाव किया था. इन बदलावों के असर से सभी तरह के पेमेंट (Payment), बिलिंग (Billing) और आयात-निर्यात (Emport-Export) में लेन-देन का निपटारा रुपये में हो सकता है. इस बारे में डायरेक्टोरेट ऑफ फॉरेन ट्रेड यानी DGFT ने एक नोटिफिकेशन भी जारी किया है. ये सुनने में भले ही तकनीकी तौर पर थोड़ा पेचीदा नजर आए, लेकिन सरल भाषा में कहें, तो ये रुपये के अंतरराष्ट्रीयकरण की प्रक्रिया की तरफ सरकार का पहला और बड़ा कदम है.
रुपये को और ताकतवर बनान लक्ष्य भारतीय करेंसी रुपये (Indian Currency Rupee) का अंतरराष्ट्रीयकरण यानी डॉलर की तरह आने वाले समय में पूरी तरह से कारोबार रुपये में करना मुमकिन हो जाएगा. DGFT ने इस संबंध में नोटिफिकेशन जारी करके रुपये में विदेशी कारोबार के रास्ते में आने वाले ब्रेकर्स या दिक्कतों की आशंका को खत्म कर दिया है. दरअसल, सरकार की मंशा साल 2047 तक इंडियन करेंसी को अंतरराष्ट्रीय करेंसी के तौर पर स्थापित करने की है. इसका मकसद साफतौर पर देश को आजाद हुए 100 साल होने पर भारतीय करेंसी रुपये को दूसरी करेंसियों के बराबर ताकतवर बनाना है.
फिलहाल डॉलर में होता है 40% ग्लोबल ट्रेड ऐसी उम्मीद है कि रुपये को अंतरराष्ट्रीय करेंसी के तौर पर स्थापित करने की तरफ अगला कदम भी जल्द बढ़ाया जाएगा. इस कड़ी में रूस के साथ जल्द ही भारतीय करेंसी में कारोबार शुरू किए जाने की योजना है. रूस के बाद खाड़ी देश सऊदी अरब के साथ भी भारत रुपये में कारोबार शुरु करने की संभावनाएं तलाश रहा है. इन दोनों देशों के साथ भारत का रुपये में लेन-देन शुरु होना, देश की करेंसी के अंतरराष्ट्रीयकरण की तरफ एक मजबूत कदम होगा.
इस बारे में भारत सरकार के तीन महत्वपूर्ण मंत्रालयों यानी वित्त, वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के बीच बैठक भी हो चुकी है. इस बैठक में रुपये को ग्लोबल करेंसी (Global Currency) के तौर पर स्थापित करने पर गहन चर्चा हुई है. यहां बता दें फिलहाल, दुनिया भर में होने वाले कुल व्यापार में से 40 फीसदी से ज्यादा कारोबार अमेरिकी डॉलर में किया जाता है.
चीन भी कर चुका है असफल प्रयास चीन (China) ने भी युआन (Yuan) के अंतरराष्ट्रीयकरण की कोशिश की थी, लेकिन सफल नहीं हो सकी. लेकिन चीन की असफलता से भारत को घबराने की कतई जरूरत नहीं है. क्योंकि चीन अपनी करेंसी के मूल्य को घटाने-बढ़ाने के लिए कृत्रिम तरीके अपनाता है. ऐसे में Yuan के अंतरराष्ट्रीयकरण का प्रयास असफल हो चुका है. भारत के साथ रुपये में कारोबार करने के लिए अब कई देश आगे आ सकते हैं. इनमें ब्राजील, मैक्सिको, श्रीलंका और बांग्लादेश शामिल हैं.
बांग्लादेश के आगे आने का सबसे बड़ा कारण ये है कि इस देश का विदेशी मुद्रा भंडार घटकर चिंताजनक स्तर पर आ गया है. ऐसे में बांग्लादेश को भारत के साथ रुपये में कारोबार करना फायदेमंद नजर आएगा. बांग्लादेश की ही तर्ज पर डॉलर की तंगी से परेशान कई देश भारत के साथ रुपये में कारोबार करने के लिए तैयार हो जाएंगे.

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