
1986 में नाबालिग लड़की से किया था बलात्कार, सुप्रीम कोर्ट ने दोषी की सजा रखी बरकरार
AajTak
सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और संजय करोल की पीठ ने राजस्थान राज्य द्वारा दायर अपील को स्वीकार कर लिया और राज्य उच्च न्यायालय के जुलाई 2013 के फैसले को खारिज कर दिया, जिसमें व्यक्ति को बरी कर दिया गया था.
देश की सबसे बड़ी अदालत ने मंगलवार को 39 साल पहले एक नाबालिग लड़की के साथ बलात्कार करने वाले दोषी की सजा को बरकरार रखा. दोषी ने1986 में एक नाबालिग लड़की से बलात्कार किया था. इसके लिए ट्रायल कोर्ट ने उसे दोषी ठहराया था. इस मामले में पीड़िता और उसके परिवार को इंसाफ पाने के लिए लगभग चार दशक तक इंतजार करना पड़ा, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने दुख जताया.
न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और संजय करोल की पीठ ने राजस्थान राज्य द्वारा दायर अपील को स्वीकार कर लिया और राज्य उच्च न्यायालय के जुलाई 2013 के फैसले को खारिज कर दिया, जिसमें व्यक्ति को बरी कर दिया गया था. पीठ ने अपने फैसले में कहा, 'यह बहुत दुख की बात है कि इस नाबालिग लड़की और उसके परिवार को अपने जीवन के इस भयावह अध्याय के समापन के लिए लगभग चार दशक तक इंतजार करना पड़ा.'
सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले से निपटने के उच्च न्यायालय के तरीके पर आश्चर्य व्यक्त किया और अपने फैसले में पीड़िता का नाम लिए जाने पर नाराजगी जताई. नवंबर 1987 में एक ट्रायल कोर्ट ने तत्कालीन 21 वर्षीय व्यक्ति को दोषी ठहराया था और उसे सात साल जेल की सजा सुनाई थी.
पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय द्वारा बरी किए जाने के पीछे मुख्य तर्क नाबालिग पीड़िता सहित अभियोजन पक्ष के गवाहों के बयान थे. पीठ ने कहा, 'यह सच है कि बाल गवाह (पीड़िता) ने अपने खिलाफ अपराध के बारे में कुछ भी नहीं बताया. घटना के बारे में पूछे जाने पर, ट्रायल जज ने दर्ज किया कि 'वी' (पीड़िता) चुप थी और आगे पूछे जाने पर, उसने केवल चुपचाप आंसू बहाए और कुछ नहीं.'
शीर्ष अदालत ने आगे कहा, 'हमारे विचार से, इसे प्रतिवादी (आरोपी) के पक्ष में एक कारक के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है. 'वी' के आंसुओं को उनके मूल्य के अनुसार समझा जाना चाहिए. यह चुप्पी प्रतिवादी के लाभ के लिए नहीं हो सकती.' पीठ ने कहा कि चुप्पी एक बच्ची की थी और इसे पूरी तरह से जागरूक वयस्क पीड़िता की चुप्पी के बराबर नहीं माना जा सकता है, जिसे फिर से अपनी परिस्थितियों में तौलना होगा.
न्यायालय ने कहा कि इस आघात ने पीड़िता को चुपचाप जकड़ लिया है और उसके युवा कंधों पर पूरे अभियोजन का भार डालना अनुचित होगा. पीठ ने कहा, 'इस भयावह आघात से कम उम्र में पीड़ित बच्ची को इस आधार पर मुक्त किया जाना चाहिए कि उसके अपराधी को सलाखों के पीछे डाला जा सके.'

'आयत लिखी कोई चादर नहीं जली, दोषियों को कब्र से भी खोद निकालेंगे…', नागपुर हिंसा पर बोले सीएम फडणवीस
सीएम फडणवीस ने विधानसभा में कहा कि नागपुर हमेशा से शांतिप्रिय शहर रहा है, यहां तक कि 1992 के सांप्रदायिक तनाव के समय भी शहर में दंगे नहीं हुए थे. लेकिन इस बार कुछ असामाजिक तत्वों ने जानबूझकर हिंसा भड़काने की कोशिश की. उन्होंने कहा कि इस मामले की पूरी जांच की जा रही है और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी.

नागपुर में हुई हिंसा पर सियासत तेज हो गई है. उद्धव ठाकरे गुट ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और डिप्टी सीएम देवेंद्र फड़नवीस को घेरा है. नितेश राणे और टी राजा सिंह के भड़काऊ बयानों पर कार्रवाई की मांग की गई है. एफआईआर में खुलासा हुआ है कि उपद्रवियों ने महिला पुलिसकर्मियों के साथ छेड़छाड़ की और उनके कपड़े फाड़ने की कोशिश की.

औरंगजेब की कब्र हटाने की मांग पर सियासत गर्म हो गई है. जहां बीजेपी से जुड़े कुछ नेता और संगठन इस मांग का समर्थन कर रहे हैं, वहीं जेडीयू और एनसीपी ने इसे गलत बताया है. विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) और बजरंग दल जैसे संगठन लगातार औरंगजेब की कब्र हटाने की मांग कर रहे हैं, लेकिन संघ परिवार से जुड़े लोगों ने इस मांग को लेकर अब स्पष्ट संकेत दिए हैं कि संघ किसी भी प्रकार की हिंसा का समर्थन नहीं करता.

दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना, मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता, मंत्री प्रवेश वर्मा और भाजपा सांसद बांसुरी स्वराज ने दिल्ली के दयाल सिंह कॉलेज के पास DTC बस डिपो के भीतर सुनहरी पूल नाले को ढकने के काम का निरीक्षण किया. इस महत्वपूर्ण परियोजना का उद्देश्य जल निकासी में सुधार करना और क्षेत्र के निवासियों को बेहतर पर्यावरण उपलब्ध कराना है.

मध्य प्रदेश के बुरहानपुर में इंस्टाग्राम चैट पर धार्मिक टिप्पणी को लेकर विवाद हो गया. कोतवाली थाना क्षेत्र के इकबाल चौक पर मंगलवार रात को यह घटना हुई. पुलिस को शिकायत मिलने पर केस दर्ज किया गया. विरोध में लोग सड़कों पर उतर आए, जिसके बाद पुलिस ने बाजार बंद करवाया और आरोपी युवक को हिरासत में लिया. देखें.