
1920 तक पीने-नहाने लायक थी नदी तो फिर कैसे बिगड़ी सूरत... यमुना में 'जहर' घुलने का पूरी क्रोनेलॉजी समझिए
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यमुना नदी दिल्ली में स्थिर नगरीय सभ्यता के बसने की बड़ी वजह रही है. इतिहासकार पुष्पेश पंत बताते हैं कि यमुना नदी सिर्फ एक बहता हुआ जल का एक सोता भर नहीं थी, बल्कि यह सदियों से चली आ रही सभ्यता की संरक्षक भी थी. फिर यमुना जहरीली कैसे होती चली गई?
राजधानी में दिल्ली में मतदान हो चुके हैं, परिणाम का इंतजार है और इस बार चुनाव का हॉट टॉपिक रही यमुना नदी की गंदगी. ये यमुना का दुर्भाग्य ही है कि, जिसने हजारों सालों से दिल्ली को आबाद रखने में सबसे अहम भूमिका निभाई, वही यमुना अब बर्बाद हो चुकी है. दिल्ली के 22 किलोमीटर के दायरे में ये 18 बड़े नालों का मल-जल खुद में भरने को मजबूर है और इसका बोझ नदी पर इतना ज्यादा है, अब नदी ने बहना तो लगभग बंद ही कर दिया है. वह भीतर ही भीतर थम चुकी है और जो प्रवाह आपको इसमें नजर आ रहा है वह सिर्फ ऊपरी है और वह भी नालों के पानी का तेज बहाव भर ही है.
यमुना अब नहीं है, दिल्ली में उसका केवल नाम ही बाकी है और बेबसी की बात ये है कि इस नाम को भी सिर्फ चुनावी काल में जिंदा किया जाता है. इस चुनाव में भी यमुना का नाम जिंदा हुआ है, लेकिन इसके साथ जहर और केमिकल वाली राजनीति भी जुड़ चुकी है. यमुना में ये जहर कहां से आया और इसकी शुरुआत कहां से कैसे हो जाती है, इस पर डालते हैं एक नजर...
वजीराबाद से ही शुरू होती है बदहाली की कहानी
राजधानी दिल्ली में एक जगह है वजीराबाद. ये दिल्ली में यमुना का एंट्री पॉइंट है. यही वो जगह है जहां से नदी दिल्ली में प्रवेश करती है और इसी जगह पर बना बैराज यमुना को आगे बढ़ने से रोक देता है. वज़ीराबाद के एक तरफ यमुना का पानी बिल्कुल साफ और दूसरी ओर बेहद काला. इसी जगह से नदी का सारा पानी उठा लिया जाता है और जल शोधन संयत्र के लिए भेज दिया जाता है ताकि दिल्ली की जनता को पीने का पानी मिल सके. नदी की बदहाली की कहानी भी यहीं से शुरू हो जाती है.
मुगल काल में यमुना का महत्व हालांकि हमेशा से ऐसा नहीं था. इतिहास कहता है कि मुगल पीरियड में ही नहीं, बल्कि उससे पहले भी यमुना नदी दिल्ली में स्थिर नगरीय सभ्यता के बसने की बड़ी वजह रही है. इतिहासकार पुष्पेश पंत बताते हैं कि यमुना नदी सिर्फ एक बहता हुआ जल का एक सोता भर नहीं थी, बल्कि यह सदियों से चली आ रही सभ्यता की संरक्षक भी थी. शाहजहां ने जब लालकिला बनवाया और नए शहर शाहजहानाबाद की नींव रखी तो पहले तो उसने लाल किले को गहरी खाइयों से घिरवाया, जिनमें नहरों से लाकर यमुना का पानी भरा गया.

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