17 की उम्र में सिर से उठा मां का साया, गांववालों के कहने पर लड़ी चुनाव, अब 21 साल में बनी सरपंच
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पंजाब के संगरूर जिले के हरकृष्णपुरा गांव में 21 साल की नवनीत कौर ने इतिहास रच दिया है. गांव वालों के कहने पर उन्होंने चुनाव लड़ा और 21 साल की उम्र में गांव की सबसे कम उम्र की सरपंच बन गईं.
पंजाब के संगरूर जिले के हरकृष्णपुरा गांव में 21 साल की नवनीत कौर गांव की सबसे कम उम्र की सरपंच बनी हैं. नवनीत बारहवीं कक्षा के बाद पढ़ाई के लिए विदेश जाना चाहती थीं, लेकिन गांव के लोगों की अपील के कारण वह गांव की सरपंची का चुनाव लड़ने के लिए मैदान में आ गईं. उन्हें गांव के 415 में से 354 वोट मिले. नवनीत के सिर से मां का साया 17 वर्ष की उम्र में उठ गया था.
कम उम्र में ही मां के गुजर जाने से नवनीत ने घर का पूरा काम संभाला और फिर गांव के लोगों को कहने पर सरपंची का चुनाव लड़ा. गांव की कम उम्र की सरपंच बनने पर नवनीत खुश हैं. उनका कहना है कि गांव के विकास के लिए वह हमेशा खड़ी रहेंगी. नवनीत इस समय कॉलेज में बीए की स्टूडेंट हैं.
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गांव वालों के कहने पर पिता ने लड़वाया चुनाव
पढ़ाई के साथ घर के काम के साथ-साथ वह खेतों का भी काम करती हैं. नवनीत ने कहा कि मेरा गांव विकास कार्यों में बहुत पिछड़ा है. अगले पांच वर्षों में मैं अपने गांव का नाम रोशन करूंगी. नवनीत ने गांव में पिछले पांच साल से सरपंची कर रहे परिवार को चुनाव में भारी मतों से हराया है.
सरपंच नवनीत के पिता गुरतेज सिंह ने बताया कि पहले वह पत्नी को सरपंची का चुनाव लड़ाना चाहते थे. लेकिन कई महीने पहले पत्नी की मौत हो गई. जिसके बाद हमने गांव वालों के साथ बात की तो गांव वालों ने कहा नवनीत को सरपंची का चुनाव लड़ाना चाहिए. जिसके बाद हमने बेटी नवनीत को चुनाव लड़ाया.
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