
115 यात्री, 6 क्रू मेंबर, 34 हजार फीट की ऊंचाई... कैसे प्लेन के एक 'बटन' ने छीन लीं 121 जिंदगियां
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Helios Plane Crash: कहानी 2005 की, जब ग्रीस में हेलिओस प्लेन दुर्घटनाग्रस्त हो गया और इसमें बैठे 121 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई. जांच में जब घटना का असली कारण पता चला तो सभी को होश उड़ गए. कैसे एक बटन के कारण 121 लोग मौत के मुंह में समा गए, चलिए जानते हैं इस प्लेन क्रैश की कहानी विस्तार से...
14 अगस्त 2005, सुबह का वक्त था. हेलिओस फ्लाइट (Helios Flight) साइप्रस के लारनाका (Larnaca, Cyprus) से चेक गणराज्य के प्राग (Prague, Czech Republic) जाने के लिए तैयार थी. लेकिन बीच में ग्रीस के एथेन्स (Athens, Greece) में उसका स्टॉपओवर था. सुबह के करीब 9 बजे इस फ्लाइट ने उड़ान भरी. उस समय फ्लाइट में 115 पैसेंजर्स और 6 क्रू मेंबर्स मौजूद थे.
इसे उड़ा रहे थे 58 वर्षीय जर्मन पायलट हैन्स जर्गन मर्टेन (Hans Jurgen Merten). जिन्हें कुल 16 हजार 900 उड़ान के घंटों का एक्सपीरियंस था. उनके साथ थे को-पायलट 51 वर्षीय पैंपोस चार्लांबोस (Pampos Charalambous), जिन्हें 7 हजार 549 उड़ान के घंटों का एक्सपीरियंस था. वहीं, फ्लाइट अटेंडेंट के तौर पर एंड्रियास प्रोड्रोमो (Andreas Prodromou) कमान संभाल रहे थे.
Daily Mail के मुताबिक, उड़ान भरने के 12 मिनट बाद, यानि 9 बजकर 12 मिनट पर प्लेन 12 हजार 40 फीट की ऊंचाई पर पहुंच गया. इस ऊंचाई पर पहुंचने के तुरंत बाद अचानक से फ्लाइट में एक अलार्म बजने लगा. जब इस अलार्म की जांच की गई तो पता चला कि ये टेकऑफ कंफीग्रेशन वार्निंग का अलार्म था, जिसे देखने के बाद दोनों पायलट हैरान हो गए. वो इसलिए क्योंकि टेकऑफ कंफीग्रेशन अलार्म तब बजता है जब प्लेन ग्राउंड पर होता है और वह उड़ान भरने के लिए तैयार नहीं होता है. ऐसे में 12 हजार से ज्यादा फीट की ऊंचाई पर अलार्म के इस तरह बजने का कारण दोनों की पायलट को समझ नहीं आया.
स्थिति की गंभारता को देखते हुए दोनों ने एयर ट्रैफिक कंट्रोल (Air Traffic Control) से संपर्क किया. पायलट जब एटीसी को ये सब बता ही रहे थे तभी प्लेन में कॉकपिट पैनल में मौजूद कई सारे अलार्म एक साथ बजने लगे. इन आवाजों से पायलट की आवाज एटीसी तक ढंग से नहीं पहुंच रही थी. साथ ही प्लेन का मास्टर कॉशन अलार्म (Master Caution Alarm) भी बजना शुरू हो गया. जिसका मतलब था कि प्लेन के कई सारे सिस्टम एक साथ ओवर हीट हो चुके हैं. दोनों पायलट की दिक्कतें अब बढ़ने लगीं. उन्हें कुछ भी समझ नहीं आ रहा था कि ये सब क्या हो रहा है.
सांस लेने में होने लगी दिक्कत इधर ये सब जानकर प्लेन में अफरा-तफरी का माहौल बन गया. क्रू मेंबर लगातार यात्रियों को शांत करने की कोशिश कर रहे थे. थोड़ी ही देर में पैसेंजर्स को सांस लेने में काफी दिक्कत आने लगी. तभी ऑक्सीजन मास्क अपने आप नीचे आ गए. इस दौरान प्लेन 18 हजार फीट की ऊंचाई पर था. पायलट बार-बार एटीसी से संपर्क कर उन्हें अपनी समस्या बताने का प्रयास कर रहे थे. लेकिन उनकी बात एटीसी तक पहुंच ही नहीं पा रही थी. फिर उनका एटीसी से भी कनेक्शन पूरी तरह टूट गया. एटीसी ने भी उनसे संपर्क साधने की कोशिश की. लेकिन उन्हें कोई जवाब नहीं मिला.
प्लेन उड़ता रहा हवा में वहां, प्लेन लगातार ऊपर की ओर बढ़ता जा रहा था. आमतौर पर इस रूट पर फ्लाइट को 1 घंटे 45 मिनट का समय लगता है. यानि 10 बजकर 45 मिनट पर इस प्लेन को एथेन्स एयरपोर्ट पर लैंड करना था. 9 बजकर 23 मिनट पर प्लेन 34 हजार फीट की ऊंचाई पर था. इसके बाद 9 बजकर 37 मिनट पर ये विमान एथेन्स के फ्लाइट इंफोर्मेशन रीजन में पहुंच गया. 10 बजकर 12 मिनट से 10 बजकर 50 मिनट तक एथेन्स एटीसी की टीम रेडियो कंट्रोल से पायलट से संपर्क साधने की कोशिश करती रही. लेकिन उन्हें कोई जवाब नहीं मिला. अब 10 बजकर 45 मिनट हो चुके थे. लेकिन प्लेन अभी तक लैंड नहीं किया था.

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