हिटलर की आंखों में खटकते थे ये 3 युवा क्रांतिकारी, 21 साल की उम्र में सिर से धड़ करवा दिया अलग
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हिटलर ने एक नरक बनाया था. इस दोजख में लोग घड़ी-घड़ी गिनते. वे या तो अपनी मौत की प्रतीक्षा करते या फिर समय चक्र के बदलने का इंतजार करते. ये समय चक्र बदला भी. 1945 में वो वक्त आया जब ब्रिटेन-रूस और अमेरिका की संयुक्त ताकत के आगे हिटलर परास्त हो गया. अब वो समय आया जब दुनिया हारे हुए हिटलर का इतिहास लिखकर इंसाफ कर रही थी.
हिटलर आज ही पैदा हुआ था. 133 साल पहले. अंध राष्ट्रवाद के पैरोकार जर्मनी के इस तानाशाह ने दुनिया और मानवता को अपनी सनक पूरा करने के लिए ऐसे-ऐसे दंश दिए जिन्हें मात्र याद कर आज भी रोम-रोम सिहर उठता है. ऑश्वित्ज़ (Auschwitz) कॉन्सेंट्रेशन कैंप (Concentration camp) से निकलती कराह को कौन भूल सकता है जहां नाजी यहूदियों को गैस चैंबर में जिंदा झोंक देते थे.
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान हिटलर की हैवानियत को दुनिया ने किताबों में पढ़ा, फिल्मों-नाटकों में देखा, कहानियों में सुना. हिटलर ने अपनी नस्ल की श्रेष्ठता के गुमान में न सिर्फ लाखों यहूदियों, जिप्सीयों, स्लावों का नरसंहार करवाया था. बल्कि 1933 से 1945 के बीच उसने जर्मन नागरिकों लगभग 75 हजार जर्मन नागरिकों का कोर्ट मार्शल करवाया और इन्हें नाजियों की कुख्यात जन अदालतों द्वारा मौत की सजा दिलवाई. ये वो जर्मन थे जो हिटलर के विरोध में उठ खड़े हुए थे. ये वो आजाद ख्याल नागरिक थे जो बेखौफ दुनिया को हिटलर की कारस्तानियां बताते थे.
खून का फव्वारा निकलता और सिर धड़ से अलग हो जाता
तानाशाह हिटलर को अपने ही सल्तनत में अपना ही विरोध कैसे बर्दाश्त होता? हिटलर और उसकी गेस्टापो (Gestapo) पुलिस ऐसे लोगों अपने तरीके से 'इंसाफ' देती थी. एक नाजी जज होता. आरोप कमोबेश सभी पर एक जैसे होते- देशद्रोह. ऐसे 'गुनाहों' की सुनवाई तेजी से होती और फैसला भी पहले से तय होता- मौत. कुछ ही दिनों में निर्दयी गेस्टापो पुलिस ऐसे लोगों की गरदनों को गिलोटिन (Guillotine) मशीन के धारदार ब्लेड के नीचे रखकर लीवर दबा देता. एक चीत्कार के साथ खून का फव्वारा निकलता और सिर धड़ से अलग हो जाता.
3 क्रांतिकारियों का ये था गुनाह
21 साल की सोफी शोल (Sophie Scholl), 24 साल का उसका भाई हंस सोल (Hans Scholl) और 24 साल का ही हंस का दोस्त क्रिस्टोफ प्रोब्स्ट (Christoph Probst). म्यूनिख यूनिवर्सिटी के इन 3 क्रांतिकारी स्टूडेंट को हिटलर की पुलिस ने ऐसी ही सजा दी थी. गिलोटिन के जरिए मौत.
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